सपा मुखिया को पहले भी लगातार तीन बार सांसद और एक बार सूबे का मुख्यमंत्री बनाने वाली इत्रनगरी इस बार भी उनके लिए लकी साबित हुई। इस बार न सिर्फ उन्होंने यहां से अपनी दूसरी सबसे बड़ी जीत हासिल की, बल्कि भाजपा को तगड़ा झटका देते हुए यूपी में सबसे ज्यादा सीट जीतने में कामयाब हुए। अब तक के चुनावी नतीजों में लोकसभा सदस्यों की संख्या के हिसाब से देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। सपा के आगे भाजपा और कांग्रेस है।

इंडिया गठबंधन के सबसे अहम चेहरे बनकर उभरे अखिलेश यादव ने अपने सियासी कॅरियर का आगाज भी कन्नौज से ही किया था। 1999 में मुलायम सिंह यादव ने यहां से जीतकर इस्तीफा दिया था। तब 2000 में हुए उपचुनाव में उन्होंने अखिलेश यादव को कन्नौज की जनता के सामने खड़ाकर कहा था कि इसे नेता बना देना। उसके बाद अखिलेश यादव ने लगातार तीन चुनाव यहां से जीता।

2009 में तीसरी बार यहां से सांसद रहते हुए ही वह 2012 में प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री भी बने थे। 2017 में प्रदेश की सरकार गंवाने के बाद 2019 का लोकसभा चुनाव वह आजमगढ़ से लड़े। खुद तो जीत गए, लेकिन कन्नौज से उनकी पत्नी और तत्कालीन सांसद डिंपल यादव यहां से हार गईं। खुद सपा भी बसपा से गठबंधन करने के बावजूद सिर्फ पांच सीट ही जीत सकी थी। खुद परिवार के ज्यादातार सदस्य भी अपनी परंपरागत सीट से हार गए थे।

ऐसे में 2024 के चुनाव में अखिलेश यादव का कन्नौज से फिर से चुनाव लड़ने का फैसला पूरी तरह से कारगर साबित हुआ। न सिर्फ उन्होंने अपने खोए हुए गढ़ को दोबारा रिकॉर्ड वोटों से हासिल किया, बल्कि पार्टी को भी यूपी में बंपर जीत मिली है। पिछले सभी रिकॉर्ड को ध्वस्त करते हुए सपा को वोटिंग प्रतिशत भी ज्यादा मिला और सीटें भी ज्यादा मिलीं।

कन्नौज के अखिलेश
– पहला चुनाव 2000 में: 58725 वोट से जीतकर सियासी कॅरियर का आगाज किया
– दूसरा चुनाव 2004 में: अखिलेश खुद 307373 वोट के रिकॉर्ड अंतर से जीते। सूबे में सपा को पहली बार 34 सीट मिली
– तीसरा चुनाव 2009 में: अखिलेश कन्नौज के साथ फिरोजाबाद से जीते, जीत की हैट्रिक लगाई। 22 सीट के साथ यूपी की सबसे बड़ी पार्टी
– चौथा चुनाव 2024 में: अखिलेश ने कन्नौज को दोबारा हासिल किया, सपा ने यूपी में पिछला सभी रिकॉर्ड ध्वस्त किया।

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