अलीगढ़ में चंडौस के गांव सुदेशपुर में 17 वर्ष पहले क्रिकेट को लेकर बच्चों के झगड़े में हुए दोहरे हत्याकांड में चार दोषियों को सजा सुनाई गई है। फैसला एडीजे-छह नवल किशोर सिंह की अदालत ने सुनाया है। चार दोषियों को उम्रकैद व अर्थदंड से दंडित किया है। सजा पाने वालों में तीन सगे भाई व चौथा उनका भतीजा है।

अभियोजन अधिवक्ता एडीजीसी जेपी राजपूत के अनुसार घटना 6 मार्च 2007 की है। वादी मुकदमा सुदेशपुर निवासी रशीद खां के अनुसार घटना से एक दिन पहले उनके बच्चों व पड़ोसी जफरू के बच्चों में क्रिकेट खेलने के विवाद में झगड़ा हो गया था। झगड़े में उसी शाम गांव के लोगों ने पंचायत के जरिये समझौता करा दिया था। बावजूद इसके घटना वाले दिन नामजद लोग हथियार लेकर उनके घर पर हमलावर होकर आए और आते ही गाली-गलौज करने लगे।

रशीद ने विरोध किया तो फायरिंग शुरू कर दी। फायरिंग में मस्जिद से घर की ओर लौटते रशीद के बेटे असलम व भांजे इकराम के गोलियां लगीं। जिनकी की मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद हमलावर फायरिंग कर दहशत फैलाते हुए वापस जाने लगे। चेतावनी दी कि अगर कोई बीच में आया तो उसका भी यही अंजाम होगा। मगर बाद में हिम्मत कर लोगों ने भागते समय जफरू को पकड़ लिया और ईंट पत्थरों से पीट दिया। जिससे उसकी भी मौत हो गई।

रशीद की तहरीर पर पुलिस ने असलम व इकराम की हत्या का मुकदमा जफरू, रहीश, शहजाद, रफीक पुत्रगण अजीज व जफरू के पुत्र आरिफ पर दर्ज किया। मुकदमे में मृत होने पर जफरू का नाम अलग किया गया। बाकी चारों पर चार्जशीट दायर की गई। न्यायालय में सत्र परीक्षण के दौरान साक्ष्यों व गवाही के आधार पर चारों नामजदों को दोषी करार देकर उम्रकैद की सजा सुनाई है। आरिफ को पचास हजार व बाकी तीनों को 55-55 हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड की राशि पीड़ित पक्ष को देने के आदेश दिए हैं।

जफरू की हत्या में साबित नहीं हुई नामजदगी, छह बरी
इस दोहरे हत्याकांड के दौरान भीड़ द्वारा बचाव में ईंट पत्थर फेंके गए और इसी दौरान हमलावर होकर आए जफरू को पकड़ लिया। जिसकी ईंटों से चोट लगने से मौत हुई। जफरू पक्ष की ओर से भी हत्या का मुकदमा अतीक, अशरफ, वहीद, यूसुफ, पप्पू आदि सहित छह लोगों पर दर्ज कराया गया था। इस मुकदमे का ट्रायल भी इसी अदालत में चला। शुक्रवार को उसमें भी अदालत ने फैसला सुनाया है। जफरू की मौत के मुकदमे में भीड़ द्वारा हमला किए जाने के कारण नामजदगी को साबित नहीं किया जा सका। जिसके चलते सभी छह आरोपियों को बरी कर दिया गया।

बच्चों के क्रिकेट खेलने के विवाद में दो लोगों की इरादतन गोली मारकर हत्या की गई। जिसमें अभियोजन पक्ष के छह गवाह पेश किए गए। पुलिस साक्ष्यों व गवाही के आधार पर दोहरे हत्याकांड का मुकदमा साबित हुआ और चारों दोषियों को सजा सुनाई गई है।

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