Swamy prasad maurya: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान के बाद महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के तेवर थोड़ा नरम हो गए। स्वामी प्रसाद ने कहा कि उन्होंने महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है। अब गेंद राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के पाले में है। अखिलेश के अगले निर्णय पर उनका (स्वामी प्रसाद) आगे का कदम तय होगा।स्वामी प्रसाद मौर्य ने गोमती नगर स्थित अपने आवास पर संवाददाताओं से कहा कि वह लगातार पार्टी का जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कुछेक बड़े नेताओं के साथ-साथ छुटभैये नेता भी उनके बयान को निजी बयान बताते हुए अनाप-शनाप बोल रहे हैं। उनका इशारा सपा के प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल और विधानसभा में सपा दल के मुख्य सचेत मनोज पांडेय की तरफ था। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी में जो चंद नेता उनका विरोध कर रहे हैं, उनकी हैसियत एक वोट बढ़ाने की भी नहीं है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि उन्होंने सोमवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश से मिलकर पूरी स्थिति से अवगत कराया। उनसे यह भी कहा, मेरे खिलाफ इस तरह की बयानबाजी पर रोक लगवाएं या फिर मुझे अपना रास्ता तय करने के लिए स्वतंत्र कर दें। उन्होंने कहा कि भगवान शिलाग्राम की पूजा-अर्चना को लेकर उनका कोई मतभेद नहीं है। वह सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करते हैं।
मेरे पास रामगोविंद चौधरी का फोन आया
स्वामी प्रसाद मौर्य ने बताया कि पूरे प्रकरण पर बात करने के लिए सपा नेता रामगोविंद चौधरी का भी उनके पास फोन आया है। उन्होंने मिलकर बात करने के लिए कहा है। यह भी बताया कि सपा की राज्यसभा प्रत्याशियों की सूची पीडीए के मानकों पर खरा नहीं उतरती है, लेकिन सपा अध्यक्ष ने जो फैसला लिया, वह उचित है। तीन प्रत्याशी अनुभवी हैं। इस पर उन्हें कोई टिप्पणी नहीं करनी। यह भी बताया कि अपना दल कमेरावादी की नेता और सपा विधायक पल्लवी पटेल का भी बुधवार को उनके पास फोन आया। उन्होंने जल्द ही मुलाकात करने की बात कही है।
पीडीए के फॉर्मूला पर ही दिए जा रहे टिकट -अखिलेश
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विधायक पल्लवी पटेल के पार्टी प्रत्याशियों को वोट न देने के एलान पर मैनपुरी में मीडिया से कहा कि पीडीए के फॉर्मूला पर ही लोग सदन में भेजे जा रहे हैं। पीडीए के अधिकारियों के लिए यह लंबी लड़ाई है। उन्होंने कहा कि अभी विधानसभा परिषद और उसके बाद राज्यसभा की और सीटों पर भी चुनाव होने हैं।