टिकैत को प्रियंका के किसान प्रेम से क्यों होता है दर्द ?Rakesh, Priyanka
प्रियंका के किसान प्रेम से टिकैत को क्यों होता है दर्द?
तौक़ीर सिद्दीक़ी

मोदी सरकार के तीन विवादित कृषि कानूनों का पिछले आठ महीनों से विरोध कर रहे किसान आज लखीमपुर खीरी नरसंहार में जान गंवाने वाले चार किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए ‘शहीद किसान दिवस’ का आयोजन किया गए था। कार्यक्रम में राकेश टिकैत भी शामिल हुए और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी. उन्होंने तिकुनिया गांव में किसानों को अंतिम अरदास प्रार्थना सभा में श्रद्धांजलि दी।

हालाँकि भारतीय किसान यूनियन जिसकी रहनुमाई राकेश टिकैत करते हैं उसको इस सभा में प्रियंका गाँधी का आना अच्छा नहीं लगा, शायद इसी लिए भारतीय किसान यूनियन के एक प्रवक्ता ने किसानों के कार्यक्रम में राजनेताओं के आने पर आपत्ति भी उठाई। याद रहे कि यह वही राकेश टिकैत हैं जिन्होंने आनन् फानन में पीड़ित किसान परिवारों के साथ सरकार का समझौता कराकर मामले को ठंडा की कोशिश की थी. यह तो प्रियंका गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने जब इस मुद्दे को पूरे देश का मुद्दा बना दिया तो राकेश टिकैत को यू टर्न लेना पड़ा और बोलना पड़ा कि सरकार के साथ कोई समझौता नहीं हुआ. राकेश टिकैत का इतिहास हमेशा से कांग्रेस विरोधी रहा है, वैसे भी राकेश टिकैत किसान आंदोलन के बीच दर्जनों बार यह कह चुके हैं कि उनका विरोध मोदी-योगी से है भाजपा से नहीं।

बहरहाल ने आज एकबार फिर लखीमपुर खीरी जाकर प्रियंका गाँधी ने किसानों को अंतिम अरदास प्रार्थना सभा में श्रद्धांजलि अर्पित की.

हालाँकि सुबह जब प्रियंका गाँधी काफिले के साथ लखीमपुर के लिए निकलीं तो प्रशासन ने उन्हें तो जाने दिया मगर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के वाहनों को इटौंजा टोल प्लाजा पर रोक दिया । जिसके बाद पुलिस प्रशासन से कांग्रसियों की काफी नोक झोंक हुई, बाद में कुछ और गाड़ियों को प्रियंका गाँधी के साथ जाने की अनुमति दी गयी.

प्रियंका गाँधी ने अरदास सभा में गुरु ग्रँथ साहिब जी के सामने मत्था टेका और शहीद किसानों नछत्तर सिंह, लवप्रीत सिंह, गुरविंदर सिंह, दलजीत सिंह और पत्रकार रमन कश्यप की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। किसानों ने प्रियंका गांधी को इस संघर्ष में अपने साथ खड़ा होने के लिए धन्यवाद कहा. इस मौके पर पत्रकारों ने कांग्रेस महासचिव से बहुत से सवाल किये मगर उन्होंने सिर्फ यह कहा कि आज मैं अंतिम अरदास सभा में आई हूं, इसलिए इस मौके पर बयानबाज़ी ठीक नहीं, हां इतना ज़रूर कहूँगी कि अंतिम सांस तक किसानों को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ूंगी।

लखीमपुर कांड के बाद प्रियंका गाँधी ने जो तेवर अपनाये हैं उससे यह साफ़ लगता है कि वह इस मुद्दे को अपने हाथों से फिसलने नहीं देंगी, और यूपी चुनाव में आगे आने वाले दिनों में कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर केंद्र और प्रदेश सरकार को और ज़्यादा परेशान करने वाली है। इसी के साथ अब यह बात भी साफ़ नज़र आ रही कि इस मुद्दे को भुनाने में पिछड़ चुकी प्रदेश की अन्य विपक्षी पार्टियों ने यह मुद्दा कांग्रेस पार्टी के ऊपर छोड़ दिया है.

सौ. ई खबर ( लेख – तौक़ीर सिद्दीक़ी )

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