सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है। उप चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने राजनीतिक समीकरण बैठाने शुरू कर दिए हैं। सपा ने यादव बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले मैनपुरी के जिला अध्यक्ष को हटाकर वहां गैर-यादव ओबीसी को जिला अध्यक्ष बनाकर गैर-यादव ओबीसी को साधने की कोशिश की है। अखिलेश यादव ने उपचुनाव से ठीक पहले देवेंद्र यादव को हटाकर आलोक शाक्य को मैनपुरी का जिलाध्यक्ष बनाया है।
शाक्य पिछड़ी जाति से आते हैं। अखिलेश ने यादव को हटाकर शाक्य को जिलाध्यक्ष बनाकर पिछड़ों को साधने के संकेत दे दिए हैं। यूपी की राजनीति में पिछड़ों का साथ पाने के लिए हर पार्टी ललायित रहती हैं। ओबीसी का साथ पाकर ही पार्टियां सत्ता की सीढ़ियां चढ़ती रही हैं।
कौन हो सकता है उम्मीदवार
मैनपुरी का जिलाध्यक्ष शाक्य बिरादरी से बनाए जाने के बाद यह लगभग तय माना जा रहा है कि लोकसभा उपचुनाव के लिए सपा यादव बिरादारी का उम्मीदवार उतार सकती है। सपा किसे उम्मीदवार बनाएगी यह तो अभी घोषित नहीं किया गया है, लेकिन परिवार के किसी सदस्य को टिकट दिए जाने की चर्चाएं जोरों पर चल रही हैं। सपा मुखिया उप चुनाव के सहारे 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का भी तानाबाना बुनने में जुट गए हैं। अभी तक तेज प्रताप का नाम सबसे ऊपर है।
सपा के लिए प्रतिष्ठा का चुनाव
मैनपुरी लोकसभा सीट मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद रिक्त घोषित की गई है। यह सीट 1996 से सपा के पास है। पांच बार मुलायम सिंह यादव और दो बार बलराम सिंह यादव यहां से चुनाव जीत चुके हैं। उप चुनाव जीतना सपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। अखिलेश यादव इसी को ध्यान में रख कर राजनीतिक समीकरण बैठाने में जुटे हैं। उपचुनाव में रालोद को एक सीट देकर अखिलेश ने यह साफ संकेत दे दिए हैं कि वह गठबंधन धर्म का पालन करने के प्रति कितने संजीदा हैं। यह भी साफ कर दिया है कि सुभासपा से उन्होंने नाता नहीं तोड़ा है, बल्कि ओम प्रकाश राजभर ने स्वयं अलग होने का फैसला किया है।
सुभासपा ने रमाकांत कश्यप को बनाया उम्मीदवार
सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने बुधवार को इटावा में आयोजित जनसभा के दौरान मैनपुरी लोकसभा सीट से रमाकांत कश्यप और खतौली विधानसभा सीट से रमेश प्रजापति को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। विधानसभा चुनाव 2022 में सपा के साथ रहने वाले ओम प्रकाश की इस चाल को पिछड़े वोट बैंक में बंटवारे से जोड़कर देखा जा रहा है।
भाजपा भी गैर-यादव ओबीसी वोटबैंक के लिए गुणा-गणित बैठाती रही है। भाजपा मैनपुरी से लगातार शाक्य जाति के प्रत्याशी को भी टिकट देती रही है। यह वजह है कि अखिलेश यादव ने जिला अध्यक्ष पूर्व मंत्री आलोक शाक्य को बनाकर भाजपा के समीकरण में सेंध की कोशिश की है। वहीं सुभासपा द्वारा भी कश्यप जाति के प्रत्याशी को मैदान में उतारने से मैनपुरी उपचुनाव में गैर-यादव ओबीसी वोटबैंक में बिखराव होने से इनकार नहीं किया जा सकता।