झांसी के बहुचर्चित पुष्पेन्द्र यादव फर्जी मुठभेड़ मामले में यूपी सरकार को झटका लगा है। मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए आरोपित पुलिसकर्मियों के खिलाफ मर्डर की एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। जस्टिस सुनीत कुमार और जस्टिस सैयद वैज मियां की खंडपीठ ने पुष्पेन्द्र के परिजनों की याचिका पर यह आदेश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 29 सितम्बर को होगी। इस मामले में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर हाईकोर्ट के फैसले पर खुशी जताई है।

कौन था पुष्पेंद्र यादव?

झांसी पुलिस के हाथों मारा गया पुष्पेंद्र यादव झांसी के करगुआं गांव का रहने वाला था। उसके पिता सीआईएसएफ में थे। पिता की आंखों की रोशनी चले जाने के बाद पुष्पेंद्र के बड़े भाई रवींद्र को उनकी जगह नौकरी मिल गई थी।  पुष्पेंद्र का एक और भाई दिल्ली मेट्रो में नौकरी करता है। घरवालों के मुताबिक पुष्पेंद्र के पास दो ट्रक थे, जिनसे वो बालू और गिट्टी की ढुलाई करता था।

परिवार वालों की मानें तो झांसी पुलिस ने पहले तो पुष्पेंद्र के खिलाफ फर्जी केस दर्ज किया और फिर उसे फर्जी एनकाउंटर में मार दिया। इस मामले में पुलिस ने दिल्ली मेट्रो में नौकरी करने वाले भाई के खिलाफ भी हत्या की कोशिश का फर्जी मामला  दर्ज किया था जबकि वह पुष्पेंद्र की मौत की ख़बर सुनकर झांसी आया था। 5 अक्तूबर 2019 की रात मुठभेड़ हुई थी। पुष्पेंद्र यादव के एनकाउंटर के सातवें दिन उसकी 90 वर्षीय दादी की भी सदमे से मौत हो गई थी।

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