उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में 12 साल पहले दंपती की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। मंगलवार को मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने सुनील यादव निवासी खुशालपुर, थाना जसवंतनगर, जिला इटावा को दोषी पाया। एफटीसी द्वितीय के जज भूलेराम ने दोषी सुनील को फांसी की सजा सुनाई। इसने खुद को नाबालिग बताकर कोर्ट को भ्रमित करने की भी कोशिश की थी।

घटना करहल थाना क्षेत्र के जलालपुर गांव की थी। यहां एक अक्तूबर 2012 की रात 9 बजे मनीष यादव ने अपने रिश्तेदारों सुनील और कल्लू की मदद से अपने पिता सुखराम, सौतेली मां सुषमा, सौतेले भाई अभिषेक की हत्या कर दी थी। सुखराम के भाई अवध सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने जांच करके सुनील को दोषी पाकर चार्जशीट कोर्ट में भेजी थी।
मुकदमे की सुनवाई एफटीसी द्वितीय जज भूलेराम की कोर्ट में हुई। अभियोजन पक्ष की ओर से वादी, विवेचक, चिकित्सक सहित गवाहों ने कोर्ट में गवाही दी। गवाही के आधार पर सुनील को तीनों की हत्या करने का दोषी पाया गया। एफटीसी द्वितीय जज भूलेराम ने सुनील को फांसी की सजा सुनाई। साथ ही एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। सजा सुनाने के बाद उसको जेल भेज दिया गया है।

किशोर न्यायालय ने माना था बालिग
घटना के बाद जेल भेजे गए सुनील ने खुद को नाबालिग बताया था। इसके बाद मुकदमा किशोर न्याय बोर्ड में चला। बोर्ड ने सुनवाई के बाद अभिलेखों के आधार पर घटना के समय सुनील को बालिग माना था। इसके बाद मुकदमा सत्र न्यायालय में स्थानांतरित किया गया था। जिला जज ने इस मामले को एफटीसी द्वितीय के न्यायालय में सुनवाई के लिए स्थानांतरित किया था। वहीं इस मामले की सुनवाई चल रही थी।

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