उत्तर प्रदेश के एटा में बरसात के दरम्यान और बाद मौसमी बीमारियां तेजी से फैलती हैं। इन पर काबू साफ-सफाई और जागरुकता से रखा जा सकता है। इसी उद्देश्य से जुलाई में दो-दो अभियान चलाए गए। लेकिन इनका असर नजर नहीं आ रहा। वर्तमान में मेडिकल कॉलेज में रोजाना ही 300 से अधिक बुखार के मरीज पहुंच रहे हैं। डेंगू-मलेरिया के भी तीन-चार मामले रोज ही आ रहे हैं।

गंदगी, जलभराव बीमारियों की बड़ी बनती है। इसमें मच्छर पलते हैं और मलेरिया, चिकनगुनिया, टायफाइड का डंक लोगों को चुभाते हैं। इसके अलावा हाथों की सफाई, भोजन बनाने और रखरखाव में असावधानी के चलते भी तमाम बीमारियों का खतरा रहता है। इन सब व्यवहारिक बातों को लोगों को समझाने के लिए शासन के निर्देश पर प्रशासन ने जुलाई में एक से 31 तक संचारी रोग नियंत्रण अभियान और 11 से 31 तक दस्तक अभियान चलाया।
इसमें स्वास्थ्य, पंचायती राज सहित तमाम विभागों को जोड़ा गया। लोगों को जागरूक करने के साथ ही साफ-सफाई करना भी उद्देश्य था। ताकि बरसात के मौसम में बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सके। आंकड़ों के मुताबिक 1649 टीमें बनीं। इन्होंने 33 हजार से अधिक घरों में पड़ताल की। साफ-सफाई पर विशेष जोर दिया गया।

इस सबके बावजूद आज के हालात देखकर लग रहा है कि अभियानों में बेहतर ढंग से काम नहीं हो सका। कुछ कमियां रह गईं, जिसके चलते बीमारियों ने शिकंजा कस लिया। केवल मेडिकल कॉलेज की ही बात करें तो इन दिनों बुखार के मरीज प्रतिदिन 300 से पार आ रहे हैं। कोई दिन ऐसा नहीं जा रहा, जबकि डेंगू और मलेरिया के केस नहीं पाए जा रहे। यहां तक कि बुखार से मौत भी हो रही हैं।

अभियानों के तहत लोगों को जागरूक किया गया। अन्य कई गतिविधियां भी कराई गईं। मौसमी रोगों को नियंत्रित रखने के लिए गांव-गांव कैंप लगाए जा रहे हैं। डेंगू-मलेरिया के केस मामूली हैं।

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