10 हजार से अधिक महिलाओं से रोजगार के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मास्टरमाइंड की मां पूर्व ब्लॉक प्रमुख रह चुकी हैं, जबकि पिता डाक विभाग में कर्मचारी हैं। तीन महीने पहले मास्टरमाइंड दीपक ने सहारनपुर में पहुंचकर ठगी करने का प्लान बनाया था। पुलिस ने ठगी के 5.50 लाख रुपये बरामद किए हैं।
एसपी सिटी अभिमन्यु मांगलिक ने बताया कि महिलाओं से ठगी करने वाला मास्टरमाइंड दीपक सिंह उर्फ कुमार शानू उर्फ कन्हैया पुत्र विजय कुमार है, जो बिहार के खगड़िया जिले के थाना गोगरी क्षेत्र में छोटी चक का रहने वाला है। सोमवार को थाना सदर बाजार पुलिस ने दिल्ली रोड पर चेकिंग के दौरान दीपक सिंह को चुनहेटी अंडरपास से गिरफ्तार किया। पूछताछ में सामने आया कि उसने हाईस्कूल सैनिक स्कूल से 2016 में उत्तीर्ण की थी। उसकी मां पूर्व ब्लॉक प्रमुख रह चुकी हैं और पिता डाक विभाग में कार्यरत हैं।
वह 26 मई 2024 को सहारनपुर आया था। 27 मई को एक रिक्शा चालक से संपर्क हुआ। उसे झांसे में लिया और उसकी आईडी पर सिम खरीदा। साथी के साथ मिलकर दिल्ली रोड पर किराए पर लेकर एशियन इंटरप्राइजेज नाम से कंपनी का कार्यालय खोल लिया। फिर महिलाओं के लिए योजना चलाई। ओएलएक्स पर नौकरी के लिए विज्ञापन दिया। तो 20 से 25 युवक कार्यालय में नौकरी पर रखे गए। इसमें सेल्स हेड के तौर पर अंकित व कैशियर अली था। इसके बाद महिलाओं को चेन सिस्टम के माध्यम से रुपये कमाने का झांसा देकर करीब 25 लाख रुपये ठग लिए। इस मामले में आदर्श कुमार पुत्र विजय कुमार पूर्व में जेल जा चुका है।
कई राज्यों की जेल में रह चुका मास्टरमाइंड दीपक
ठगी का मास्टरमाइंड दीपक फ्रॉड करने के मामले में दरभंगा, झारखंड, राजस्थान, रायपुर व छतीसगढ़ की जेल में रह चुका है। 2017 व 2018 में डेरांडा रांची (झारखंड) में फ्रॉड किया था। इसमें 10 दिन रांची जेल में रहा। उसके बाद दरभंगा (बिहार) में भी फ्रॉड किया। इस मामले में एक सप्ताह दरभंगा जेल में रहा। 2022 में राजस्थान की बीकानेर जेल में ढाई महीने, 2023 में छत्तीसगढ़ की रायपुर सेंट्रल जेल में साढ़े तीन महीने रहा था। बीकानेर व रायपुर जेल में गलत नाम पते से गया था। उसके पास से दूसरों के नाम से आधार कार्ड बरामद हुए थे।
पटना की एक कंपनी में सीखी फ्रॉड की एबीसीडी
पूछताछ के दौरान मास्टरमाइंड दीपक ने बताया कि हाईस्कूल करने के बाद पटना में एक कंपनी में बतौर कर्मचारी काम किया था। उस समय कंपनी में भी लोगों के साथ फ्रॉड किया जाता था। वहां से ही फ्रॉड करने का तरीका सीखा था। उसके बाद से एक के बाद एक फ्रॉड करता चला गया।
इसलिए कथित पत्रकार को ढाई लाख रुपये दिए
मास्टरमाइंड दीपक ने बताया कि उसके कार्यालय के पास एक कथित पत्रकार का भी कार्यालय था। मामला उजागर न हो, इसलिए पत्रकार के दबाव बनाने पर दो से ढाई लाख रुपये कई बार नगद दिए। उसने जिम्मेदारी लेते हुए अन्य पत्रकारों से भी बात करने का भरोसा दिलाया।