नामांकन के आखिरी दिन 7 मई को जिले में बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिला। बसपा से घोषित उम्मीदवार दयाशंकर मिश्र के टिकट कटने की अचानक खबर तैरने लगी। इससे सियासी गणितज्ञों की उलझन बढ़ गई। कलेक्ट्रेट परिसर के बाहर से लेकर सोशल मीडिया तक बसपा प्रत्याशी के टिकट कटने की चर्चाएं आम हो गई।
इसी बीच नामांकन के आखिरी लम्हों में लगभग 2.30 बजे बसपा के नए प्रत्याशी के रूप में लवकुश पटेल अपने समर्थकों के साथ कलेक्ट्रेट स्थित नामांकन कक्ष में दाखिल हो गए। उन्होंने बसपा सुप्रीमो के पत्रक के साथ अपना नामांकन पत्र दाखिल किया और बसपा के अधिकृत प्रत्याशी होने का दावा किया।
नामांकन से 15 दिन पहले जिले का राजनीतिक तापमान तब चढ़ा जब भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष दयाशंकर मिश्र ने पार्टी को अलविदा कहकर बसपा का दामन थाम लिया था। उन्हें बसपा की ओर से बस्ती संसदीय सीट से उम्मीदवार भी घोषित किया गया।
इसी के बाद दयाशंकर बसपा पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं के साथ चुनावी तानाबना बुनने में जुट गए। एक मई को उन्होंने बसपा उम्मीदवार के रूप में अपना एक सेट में नामांकन पत्र भी दाखिल कर दिया। तीन दिन बाद दयाशंकर ने दोबारा 5 मई को तीन सेटों में पर्चा दाखिल किया।
उनका चुनाव प्रचार आगे बढ़ चुका था। सोमवार को नामांकन के आखिरी दिन बसपा उम्मीदवार बदल दिए जाने की सूचनाएं सुबह से ही तैरने लगी। सभी राजनीतिक खेमों में इसकी चर्चाएं होने लगी। राजनीतिक गणितज्ञ एक दूसरे से इस खबर की पुष्टि करने में जुटे रहे।
नामांकन के लिए आधे घंटे और शेष बचे थे, तभी नया घटनाक्रम सामने आया। दिन में 2.30 बजे बसपा के नए उम्मीदवार के रूप लवकुश पटेल अपना नामांकन पत्र दाखिल करने पहुंचे। उन्होंने अपने पक्ष में बसपा सुप्रीमो के लिखित पत्र के साथ डीएम को अपना नामांकन पत्र सौंपा।
इसी के साथ जिले की सियासी चाल बदल गई। लवकुश बस्ती सदर सीट से बसपा से दो बार विधायक रह चुके स्व. जितेंद्र कुमार उर्फ नंदू चौधरी के बेटे हैं। स्व. नंदू और उनका परिवार सपा- कांग्रेस प्रत्याशी राम प्रसाद चौधरी के बेहद करीबियों में शुमार माना जाता रहा है।
लोकसभा में अचानक ताल ठोंकने से सपा प्रत्याशी को झटका लगा है। जबकि शुरूआत में बसपा ने भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष पर दांव चलकर चुनावी माहौल को गरमाया था। इससे भाजपा प्रत्याशी सांसद हरीश द्विवेदी को झटका लगा था। मगर अब बसपा ने यहां से चुनावी खेल उल्टा कर दिया है।