जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, वहीं बिजनौर जिले में नगीना लोकसभा सीट हॉट सीट बनने की ओर बढ़ रही है। सभी पार्टियों की ओर से दिग्गज इस सीट पर चुनाव लड़ने की तैयारी में लगे हैं। राजनीतिक खेमों में बड़े नामों की चर्चाएं हो रहीं हैं। फिर चाहे भाजपा हो, सपा हो या बसपा। हर ओर नगीना में जीत के समीकरण के लिए मजबूत नाम देखा जा रहा है।

2009 में पहली बार अस्तित्व में आई नगीना लोकसभा सीट के लिए अब तक हुए तीन चुनाव में सबसे पहले समाजवादी पार्टी से यशवीर सिंह धोबी, भाजपा से डॉक्टर यशवंत सिंह व वर्तमान में बसपा के गिरीश चंद्र सांसद हैं। प्रदेश की राजनीति में मजबूत दखल रखने वाली तीन प्रमुख पार्टियों का रिकॉर्ड इस सीट पर एक-एक से बराबर चल रहा है। एक तरफ प्रदेश व केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा की ओर से इस सीट पर फतह पाने के लिए फायर ब्रांड नेता साध्वी प्राची या किसी फिल्म स्टार को अपना प्रत्याशी बनाने की चर्चाएं स्थानीय राजनीतिक खेमों में चल रहीं हैं।

दूसरी तरफ पूर्व सांसद डॉक्टर यशवंत सिंह, पूर्व विधायक सुरेश राठौर, भाजपा विधायक ओम कुमार व उनकी पत्नी शोभा रानी, रचना पाल, सचिन पाल वाल्मीकि, सेवानिवृत्त उप श्रम आयुक्त रोशन लाल, कांता कर्दम आदि का नाम भी प्रमुखता से चर्चा में चल रहा है। राजनीतिक सूत्रों की मानें तो नगीना सीट पर दूसरी पार्टी के मजबूत अनुसूचित वर्ग के नेता भी भाजपा के संपर्क में हैं।

मायावती के भतीजे के नाम की भी हो रहीं चर्चाएं
बहुजन समाज पार्टी की तरफ से पार्टी सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद के भी नगीना सीट से किस्मत आजमाए जाने की चर्चा चल रही है। हालांकि, मौजूदा बसपा सांसद गिरीश चंद की दावेदारी भी कमजोर नहीं मानी जा रही। समाजवादी पार्टी से स्थानीय विधायक मनोज पारस की पत्नी नीलम पारस, पूर्व न्यायिक अधिकारी मनोज कुमार आदि का नाम प्रमुखता से चर्चा में है। कांग्रेस की तरफ से नगीना की दिग्गज नेता ओमवती की पुत्रवधू हैनरीता राजीव सिंह मजबूती से अपनी दावेदारी पेश कर रहीं हैं, जबकि हाल ही में नगीना सीट पर कांग्रेस की तरफ से पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भी उतारे जाने की चर्चा बनी हुई है।

आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष और भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर आजाद नगीना सीट पर चुनाव की तैयारी में लंबे समय से जुटे हुए हैं। लगातार उनकी क्षेत्र में सभाएं, दौरे चल रहे हैं। पहले रालोद-सपा के गठबंधन से यह टिकट की तैयारी में थे। लेकिन रालोद के भाजपा की ओर जाने से समीकरण बदले हैं। राजनीतिक खेमों में चर्चाएं हैं कि चंद्रशेखर आजाद अब भी यहां से चुनाव लड़ेंगे। हालांकि वह किसके टिकट पर लड़ेंगे, यह तय नहीं माना जा रहा है।

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