राज्यसभा की दस सीटों के लिए होने वाले चुनाव में भाजपा को सात और सपा को दो सीट मिलना तय है। भाजपा ने सात सीटों पर संतोष किया तो सपा को तीन सीट मिलेगी। यदि भाजपा ने आठवीं सीट के लिए संघर्ष किया तो चुनाव की नौबत आएगी। ऐसे में सपा को तीसरी सीट जीतने के लिए संघर्ष करना होगा। विधानसभा की मौजूदा सदस्य संख्या के लिहाज से मुकाबले में सपा भारी रहेगी।

प्रदेश में विधानसभा की सदस्य संख्या 403 हैं, लेकिन वर्तमान में सदन में 400 विधायक हैं। इसमें भाजपा गठबंधन के 252 सदस्य हैं। लखनऊ पूर्वी से भाजपा विधायक आशुतोष टंडन गोपाल और ददरौल से भाजपा के विधायक मानवेंद्र सिंह का निधन होने के कारण दो सीटें खाली है। वहीं भाजपा के एक सदस्य रामदुलारे गोंड को दुष्कर्म के आरोप में 25 साल की सजा होने के कारण उनकी सदस्यता रद्द हो चुकी है। भाजपा के सहयोगी अपना दल एस के 13, निषाद पार्टी के छह और सुभासपा छह सदस्य हैं। इस तरह भाजपा गठबंधन के पास कुल 277 विधायक हैं।

वहीं समाजवादी पार्टी के 108 और रालोद के 9 विधायक सहित सपा गठबंधन के पास 117 विधायक हैं। सपा के एक विधायक इरफान सोलंकी जेल में बंद हैं। जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दो, कांग्रेस के दो और बसपा के एक मात्र विधायक हैं।

तीसरी सीट के लिए भाजपा को 40 और सपा को चाहिए एक अतिरिक्त वोट

एक सीट के लिए 40 विधायकों का मत चाहिए। ऐसे में भाजपा के पास 277 मत होने से उन्हें सात सीट मिलना और सपा के पास 117 विधायक होने से उन्हें दो सीट मिलना तय है। भाजपा आठवीं और सपा को तीसरी सीट के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है। जानकारों का मानना है कि जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दोनों विधायकों का भाजपा को समर्थन मिला तो भाजपा के पास 279 विधायकों का समर्थन हो जाएगा। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा के संभावित गठबंधन के मद्देनजर राज्यसभा चुनाव में भी कांग्रेस का सपा को समर्थन मिल सकता है। ऐसे में सपा के पास 119 विधायकों का समर्थन रहेगा। लिहाजा भाजपा को आठवीं सीट के लिए 40 और विधायकों के समर्थन की आवश्यकता होगी जबकि सपा को तीसरी सीट के लिए मात्र एक विधायक के समर्थन की आवश्यकता होगी। यदि तीसरी सीट के लिए चुनाव हुआ तो सपा मजबूत रहेगी। जानकारों का कहना है कि ऐसे में यह भी संभव है कि भाजपा सात ही सीट पर संतोष कर चुनाव को निर्विरोध संपन्न कराए।

भाजपा में आधे से अधिक नए चेहरे आ सकते हैं
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हो रहे राज्यसभा चुनाव में भाजपा के आधे से अधिक चेहरे नए आ सकते हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन लोकसभा चुनाव की सोशल इंजीनियरिंग के हिसाब से होगा। ऐसे में उन मौजूदा सदस्यों को दोबारा मौका नहीं मिलेगा जो सामाजिक समीकरण में फिट नहीं हो रहे हैं या जो अपनी जाति या समाज में पैठ साबित करने में सफल नहीं हुए हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक मौजूदा सदस्यों में से राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी और विजयपाल तोमर को दोबारा राज्यसभा भेजा जाना लगभग तय है। जबकि जीवीएल नरसिम्हा राव, डॉ. अनिल अग्रवाल का टिकट कट सकता है। पार्टी डॉ. अशोक बाजपेयी, सकलदीप राजभर, डॉ. अनिल जैन और हरनाथ सिंह यादव की जगह भी नए चेहरे उतारने पर विचार कर सकती है। पार्टी ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय के साथ पिछड़े व दलित वर्ग को भी प्रतिनिधित्व दे सकती है।

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