उत्तर प्रदेश के एटा जिले में अजीब मामला सामने आया है। यहां 70 वर्षीय बुजुर्ग ने खुद की तेरहवीं की। उसने मृत्यु भोज में पूरे गांव को आमंत्रित किया। उसके परिवार वालों ने भी इस भोज में शिरकत की। जीते जी तेरहवीं करने के पीछे की वजह बताते हुए बुजुर्ग ने कहा कि परिवार वालों से भरोसा उठ गया है कि मरने के बाद वे उसकी तेरहवीं करेंगे या नहीं। इसलिए जिंदा रहते हुए उसने ये सारी क्रियाएं अपने सामने ही करा लीं।

सकीट क्षेत्र के ग्राम मुंशीनगर निवासी 70 वर्षीय हाकिम सिंह को अपनों से कोई आस नहीं है। उन्हें नहीं लगता कि मृत्यु के बाद अपने कोई आयोजन कराएंगे। इसे लेकर हाकिम सिंह ने सोमवार को खुद ही अपना तेरहवीं संस्कार और मृत्यु भोज कराया। इस तेरहवी संस्कार और मृत्यु भोज कार्यक्रम में गांव के लोग भी बिना झिझक पहुंचे। सैकड़ों लोगों ने भोजन प्राप्त किया। ब्राह्मणों को बुलाकर विधि-विधान के साथ हवन-यज्ञ और तेरहवीं संस्कार की सभी रस्में अदा की गईं। 

हाकिम सिंह ने बताया कि उनके कोई पुत्र-पुत्री नहीं है। परिवार में भाई-भतीजों ने घर और जमीन पर कब्जा कर लिया। वे लोग उनके साथ मारपीट करते हैं। ऐसे में भरोसा नहीं हैं कि मृत्यु होने के बाद वे लोग कुछ करेंगे। सोमवार सुबह तबीयत बिगड़ी तो मन में आया कि अपने सामने ही पंडितों और परिचितों को मृत्युभोज कराएं। इसमें करीब 700 लोग भोज करने पहुंचे।

हाकिम सिंह ने बताया कि कार्यक्रम की व्यवस्था अपनी जमीन बेचकर की है। अपने सामने ही लोगों को मृत्युभोज कराकर अपने मन में कोई बोझ नहीं रखना चाहते। सभी को भोज कराकर बहुत प्रसन्नता हो रही है। बता दें कि हाकिम सिंह के विवाह के लंबे समय बाद कोई संतान नहीं हुई। इसके बाद उनकी पत्नी भी छोड़कर चली गईं। तबसे वह साधु बाबा के रूप में जीवन बिता रहे हैं।

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