डेडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर परियोजना को असफल करने की कोशिशें लगातार बढ़ रही हैं। खुर्जा से सहारनपुर के बीच कई घटनाओं में बदमाश करीब 150 करोड़ के विदेशी उपकरण चोरी कर चुके हैं। स्थानीय पुलिस चोरी की वारदात रोकने में नाकाम साबित हो रही है। इन अवरोधों के बीच बीच फ्रेट कॉरिडोर पर मालगाड़ियों का संचालन शुरू किया चुका है। इसके बावजूद अब इन मालगाड़ियों को पलटाने की खतरनाक साजिश रची जा रही है। कुछ दिन पहले ही जानी क्षेत्र में रेलवे लाइन के 300 फिटिंग क्लिप चोरी हो चुके हैं।
ऐसी स्थिति में मालगाड़ी के आवागमन के दौरान बड़े हादसे की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता। हालांकि अधिकारी इसे शराबियों और असामाजिक तत्वों हरकत बता रहे हैं। कंपनी के एडमिन मैनेजर की ओर से मामले में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। रेलवे लाइन पर फिटिंग क्लिप को पटरी काे स्थिर रखने के लिए किया जाता है। ट्रेनों की सुरक्षा की दृष्टि से यह काफी महत्वपूर्ण होती हैं। जिससे तेज गति से जा रही ट्रेन ट्रैक से सुरक्षित ढंग से गुजर सके। फिटिंग क्लिप हटने से पटरी से ट्रेन के उतरने की आशंका बढ़ जाती है। इससे बड़ा हादसा हो सकता है।
रोजाना हो रही चोरी की रिपोर्ट
थाने में दर्ज कराई रिपोर्ट में निर्माण कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक डेडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर में तैनात कीमैन प्रतिदिन रेलवे लाइन का निरीक्षण करता है। कर्मचारी चरण सिंह की ओर से रोजाना चोरी की घटनाओं की रिपोर्ट दी जा रही है। जिले में चोरी की घटनाएं रोज हो रही हैं। पुलिस काम कर रही है। कई लोग चोरी के मामलों में गिरफ्तार भी किए जा चुके हैं।
विदेशी सेंसर किट और लोकेशन बॉक्स हुए थे चोरी
डेडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर पर खुर्जा से सहारनपुर के बीच डीपी सेंसर किट और लोकेशन बॉक्स लगाए गए थे। इन्हें विदेश से मंगाया गया था। डीपी सेंसर किट के जरिए पटरी से ट्रेन के गुजरने की जानकारी रेलवे स्टेशन तक पहुंचती है, जबकि लोकेशन बॉक्स से ट्रेन की लोकेशन और सिग्नल मैनेज किए जाते हैैं। पूर्व में 140 डीपी सेंसर किट और लोकेशन बॉक्स चोरी कर लिए गए थे। कई को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। एक उपकरण की कीमत लगभग 5.5 लाख रुपये बताई गई है। इन घटनाओं को भी फ्रेट कॉरिडोर परियोजना को असफल करने की साजिश से जोड़कर देखा जा रहा था।
डीएम-एसपी से मिले थे कंपनी के अधिकारी
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर विदेशी उपकरणों की चोरी और इनके क्षतिग्रस्त होने की घटनाओं में डेडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर के अधिकारियों ने इस मामले में निर्माण कंपनी एल एंड टी कंपनी से रिपोर्ट मांगी थी। इस मामले में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि इस मामले में मेरठ, बुलंदशहर और हापुड़ के अधिकारियों से मुलाकात कर चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगाने की मांग की जागी। बाद में अधिकारियों ने इन जिलों से मुलाकात भी की थी।
आरपीएफ के कांस्टेबल पर किया गया था हमला
चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए इस रेलवे मार्ग पर गश्त शुरू की गई थी। आरपीएफ के कांस्टेबल ट्रॉली चालक के साथ 14 अक्तूबर गश्त पर थे। तभी निर्माण कंपनी की सिक्योरिटी एजेंसी के गार्ड ने अपने साथियों के साथ मिलकर उन पर हमला कर दिया था। इसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। पुलिस ने मामले की रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू की थी। रिपोर्ट में आशंका जताई गई थी कि कुछ असामाजिक तत्व प्रोजेक्ट को कामयाब नहीं होना देना चाह रहे हैं।