उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में बीती रात किसान किशनलाल को झोपड़ी में बचने के लिए समय ही नहीं मिला। आग में घिरने के बाद वह असहाय हो गए थे। झोपड़ी में उपले और जमीन पर पुआल बिछी थी। एक साथ सभी आग में सुलग उठे थे। ऐसे में किसान की चीखें कुछ ही देर में शांत हो गईं।

घटना भोगांव थाना क्षेत्र के गांव मिर्जापुर की है। गांव निवासी वृद्ध किसान किशन लाल ने इस बार पांच बीघा खेत में आलू की फसल की थी। क्षेत्र में जंगली सूकरों का उत्पात है। जिस कारण वह खेत पर ही झोपड़ी डालकर किशन लाल रहने लगे थे। घर से खाना खाने के बाद रोजाना ही झोपड़ी में सोते थे और पशुओं से खेत की रखवाली करते थे। 

शुक्रवार की रात को वृद्ध शायद गहरी नींद में सो गए थे। इस वजह से आग लगने की उन्हें जानकारी नहीं हो सकी। कुछ ही देर में झोपड़ी उसके अंदर रखे उपले और जमीन पर बिछी पुआल ने आग पकड़ ली। एक साथ झोपड़ी आग से घिर गई और नरम जमीन भी आग से गरम हो उठी। धुआं और आग की तीव्रता के आगे किशनलाल शायद बेबस हो गया। कुछ ही देर में उनकी चीखें झोपड़ी के अंदर ही घुट कर रह गईं। हादसे के बाद जिसने भी यह मंजर देखा, उसकी रूह कांप गई।

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