विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे जातीय जनगणना के मुद्दे की काट तैयार करने और पिछड़ों को साधने के लिए बृहस्पतिवार को दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में कई प्रदेश के पिछड़े वर्ग के नेताओं के साथ मंथन किया। बैठक में तय किया गया कि लोकसभा चुनाव 2024 में नरेंद्र मोदी को लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने के लिए पिछड़े वर्ग में जनाधार बढ़ाया जाएगा। भाजपा के केन्द्रीय मुख्यालय में आयोजित बैठक में यूपी, हरियाणा, बिहार, महाराष्ट्र सहित करीब आधा दर्जन से अधिक राज्यों के पिछड़े नेताओं के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारी पर मंथन हुआ।

बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद से विपक्षी दलों की ओर से जातीय जनगणना कराने को मुद्दा बनाया जा रहा है। वहीं यूपी में सपा पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वोट बैंक के लिए पीडीए का नारा दे रही है। प्रमुख विपक्षी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के मुद्दों के बीच भाजपा को पिछड़े वोट बैंक की सबसे अधिक चिंता है। इसका समाधान करने के लिए गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष की मौजूदगी में हुई बैठक में प्रत्येक प्रदेश में पिछड़े वर्ग की प्रत्येक जाति के वोट बैंक में आधार बढ़ाने पर मंथन हुआ। 

करीब ढाई घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में 2019 लोकसभा चुनाव परिणाम के लिहाज से भाजपा के लिए बी, सी और डी श्रेणी की सीटों पर चुनावी तैयारी के लिए चर्चा हुई। यूपी में विपक्ष के कब्जे वाली 14 लोकसभा सीटों पर चुनाव जीतने के लिए की जा रही तैयारी पर बात हुई। बैठक में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यूपी में जाट, गुर्जर, कुर्मी, यादव, मौर्य, शाक्य, सैनी, कुशवाहा, निषाद, राजभर सहित पिछड़े वर्ग के अन्य समाजों के सामाजिक सम्मेलन कराने की योजना बनाई गई। पिछड़े वर्ग के साथ अनुसूचित जाति और अगडी जातियों के लिए प्रदेश स्तर पर रणनीति तैयार करने पर मंथन हुआ। इसके लिए दूसरे दलों के प्रभावी नेताओं को पार्टी में शामिल कराने के साथ छोटे छोटे दलों को साथ लेने की योजना पर भी बात हुई।

एक पदाधिकारी ने बताया कि जिन प्रदेशों में विधानसभा चुनाव नहीं हैं वहां पर पार्टी ने लोकसभा चुनाव की तैयारी तेजी से शुरू कर दी है। यूपी से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य,पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति और राष्ट्रीय मंत्री सुरेंद्र नागर सहित अन्य नेता मौजूद रहे।

पिछड़ा वर्ग को साधना चुनौती
पार्टी सूत्रों के मुताबिक बैठक में यह माना गया कि बिना पिछड़े वोट बैंक के केंद्र में सत्ता हासिल करना संभव नहीं हैं। यूपी, बिहार, हरियाणा और महाराष्ट्र में प्रमुख विपक्षी दलों के साथ क्षेत्रीय दलों की ओर से पिछड़े वोट बैंक में सेंध लगाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में पिछड़े वर्ग को साधे रखना किसी चुनौती से कम नहीं हैं। इस चुनौती का सामना करने के लिए बैठक में पिछड़े वर्ग के नेताओं से सुझाव लिए गए।

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