लखनऊ की प्राचीन रामलीला समिति की ओर से रामलीला मैदान में दशहरे के दिन विजय दशमी पर्व मनाया गया। मैदान के आसपास एशबाग रोड, वाटरवर्क्स रोड से पीली कालोनी तक चारों तरफ दशहरे मेले की धूम रही। हर तरह की दुकानें सजी थीं। मैदान में बने तुलसी रंगमंच पर लीला की राम स्तुति से शुरुआत हुई। इस दौरान प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और पूर्व उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा मौके पर मौजूद रहे। सभी को विजय दशमी की बधाई दी। कहा कि इस राम लीला में जो आता है, वो राम को हो जाता है। रामलीला समाप्त होने के बाद रावण का पुतला जलाया गया। रामलीला मैदान के अतिरिक्त कानपुर रोड पर भी रावण दहन हुआ। महानगर रामलीला, मौसमगंज रामलीला कमेटी की ओर से भी रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 

रामलीला के मंच पर मेघनाद का वध हुआ और उसके बाद रावण वध के प्रसंग का मंचन किया गया। इस दौरान पूरा परिसर जय श्री राम के उद्घोष से गूंजता रहा। फिर मुख्य अतिथि ब्रजेश पाठक और पूर्व मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा, रामलीला समिति के अध्यक्ष हरिश्चन्द्र अग्रवाल समेत समस्त पदाधिकारियों की मौजूदगी में 80 फीट का रावण का पुतला फूंका गया। रावण के पुतले पर लिखा गया है कि सनातन धर्म के विरोध का अंत हो। इसी के साथ जय श्री राम के उद्घोष से लखननगरी गूंज उठी और शुरु हो गया आतिशबाजी का दौर। 

प्रमुख सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि रामायण में निहित राम जी का जीवन, उनका चरित्र, उनका आचरण, उनका व्यवहार सभी चीजों को व्यक्ति को अपने जीवन उतारना चाहिए, उससे सीखना चाहिये। गोस्वामी तुलसी दास जी के पग चिन्हों से पल्लवित ऐशबाग की राम लीला बहुत खास है। दशहरे पर रावण के पुतले को जलाकर हम सभी यह स्मरण करते हैं कि असत्य पर सत्य की विजय होती है।  डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि ऐशबाग की राम लीला एक ऐतिहासिक रामलीला है। यहां पर गोस्वामी तुलसीदास का पदार्पण हुआ था। इस रामलीला का स्वरूप दिन – प्रतिदिन निखर रहा है। हर व्यक्ति को राम जी के जीवन से सीखना चाहिए और उनके चरित्र का अनुशरण करना चाहिए। सर्वेश अस्थाना, मयंक रंजन सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों के अलावा हजारों की संख्या में दर्शक उपस्थित थे।

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