अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का निर्माण कार्य खूब जोर-शोर से चल रहा है। 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा मंदिर का उद्घाटन किया जाना है। इसे देखते हुए हर कार्य को समय से पूरा करने के लिए पूरी कोशिश की जा रही है। लेकिन इन तैयारियों में जुटे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सामने एक बड़ी मुश्किल आ गई है। उद्घाटन के समय से पहले इसे पूरा करना उसके लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
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दरअसल, अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के निर्माण के लिए राजस्थान, कर्नाटक और नेपाल से लाखों टन पत्थर लाए गए हैं। इन्हीं पत्थरों से राम मंदिर का निर्माण कार्य किया जा रहा है। मंदिर निर्माण में मजबूती की दृष्टि से राजस्थान के पत्थरों को सबसे उपयुक्त पाया गया था, तो रामलला की मूर्ति के निर्माण के लिए कर्नाटक से आए पत्थरों को सबसे सही पाया गया था। नेपाल की नदी से आए शालिग्राम रूपी पत्थरों को भी मंदिर में स्थापित किया जाना है।
लेकिन ऐसा करने में राम मंदिर के आसपास लाखों टन बड़े-बड़े पत्थरों का कचरा भी पैदा हो गया है। मंदिर के उद्घाटन के पहले इसे हटाया जाना आवश्यक है। उद्घाटन के दिन अयोध्या में प्रधानमंत्री के साथ-साथ अनेक हाई प्रोफाइल लोग भी उपस्थित रहेंगे। उद्घाटन के दिन लाखों लोगों की भीड़ अयोध्या में उपस्थित रहेगी और मंदिर के आसपास भारी संख्या में लोगों के बैठने की व्यवस्था भी करनी है। इसे देखते हुए इन पत्थरों को हटाया जाना बेहद आवश्यक है।
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समस्या क्या है
दरअसल, ट्रस्ट के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि इन पत्थरों को हटाने के लिए मंदिर के आसपास कोई खाली परिसर नहीं बचा है। मंदिर से सरयू घाट की ओर पूरी तरह सघन बस्ती है और अन्य निर्माण कार्य हैं। जबकि दूसरी ओर स्टेशन, हवाई अड्डा, बाजार और अन्य बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठान हैं। पत्थरों को डालने के लिए अयोध्या में कोई खाली परिसर उपलब्ध नहीं है। पत्थरों को दूर ले जाकर डंप करना भी संभव नहीं रह गया है। इसके लिए पर्याप्त संसाधन और समय नहीं है।
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क्या होगा उपाय
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से जुड़े एक शीर्ष पदाधिकारी ने अमर उजाला को बताया कि समय और संसाधनों की कमी के कारण अब इन पत्थरों को वहां से पूरी तरह हटाया जाना संभव नहीं है। काम चलाने के तौर पर इन्हें मंदिर से दूर एक स्थान पर एकत्र कर दिया जाएगा। मंदिर निर्माण के बाद इन्हें कहीं दूर स्थान पर ले जाकर डंप किये जाने पर विचार किया जाएगा। अभी ट्रस्ट का पूरा ध्यान मंदिर निर्माण पूरा कराने और उद्घाटन समारोह को सफलतापूर्वक संपन्न कराने पर है और इसके लिए तैयारियां की जा रही हैं।