उत्तर प्रदेश में एक साथ कई बिजली घरों में तकनीकी गड़बड़ी और सालाना मरम्मत के चलते हुई बंदी से प्रदेश में बिजली सप्लाई का संकट गहरा गया है। बीते चार दिनों से प्रदेश में 2,500 से 3,000 मेगावाट बिजली उत्पादन ठप हो गया है जिसके चलते गांवों से लेकर शहरों तक जबरदस्त कटौती की जा रही है। प्रदेश के गांवों में तो कागजों पर पांच घंटे जबकि वास्तविकता में सात से आठ घंटे तक बिजली की कटौती की जा रही है। वहीं, बड़े शहरों में भी तीन से चार घंटे सप्लाई बाधित हो रही है।

विभिन्न कारणों से राज्य में कुल 12 प्लांट बंद

दरअसल प्रदेश में छह विद्युत उत्पादन इकाइयों को सालाना मरम्मत के लिए बंद किया गया था जबकि छह अन्य इकाइयों में तकनीकी खराबी आ जाने के चलते उत्पादन ठप हो गया है। हालांकि इनमें से चार में तकनीकी गड़बड़ी को दुरुस्त कर लिया गया पर अभी भी बारा व टांडा तापीय बिजली घर की एक-एक इकाई में उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है।

बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगले 24 घंटों में बारा और टांडा की यूनिटों से उत्पादन शुरू हो जाएगा। सबसे ज्यादा असर बारा में 660 मेगावाट, रिहंद में 500, टांडा में 660 मेगावाट और रोजा में 300 मेगावाट का उत्पादन बंद होने से हुआ है। इसके अलावा ऊंचाहार में 500 और हरदुआगंज में 105 मेगावाट उत्पादन की इकाइयां भी बंद हैं।

18 अक्टूबर तक बिजली व्यवस्था पटरी पर लौट आएगी- ऊर्जा मंत्री एके शर्मा

उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बिजली संकट को स्वीकारते हुए कहा कि सिक्किम में आई बाढ़, तापीय बिजलीघरों में सालाना मरम्मत और कुछ तकनीकी गड़बड़ी के चलते दिक्कत हो रही है जिसे जल्द दूर कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि दुर्गा पूजा शुरू होने के समय 18 अक्टूबर तक बिजली व्यवस्था पटरी पर लौट आएगी।

ऊर्जा मंत्री ने बताया कि इस समय बिजली की उपलब्धता और खपत में करीब 3,000 मेगावाट का अंतर आ गया है जिसके चलते नए रोस्टर से कटौती करनी पड़ रही है। प्रदेश में गुरुवार को बिजली की मांग करीब 21,500 मेगावाट रही है जबकि उपलब्धता 19,472 मेगावाट ही रही है। बिजली अधिकारियों का दावा है कि 18 अक्टूबर तक उपलब्धता 20,220 मेगावाट तक पहुंच जाएगी और तब तक पारा गिरने से मांग भी कम होगी।

बिजली संकट से जूझ रही आम जनता

गौरतलब है कि रोस्टर के मुताबिक उत्तर प्रदेश में गांवों में 18 घंटे बिजली दिया जाना है जबकि तहसीलों या छोटे शहरों में 21.30 घंटे व बड़े शहरों में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की जाती है। बीते चार दिनों से गांवों में पांच घंटे तो तहसीलों में तीन घंटे की घोषित कटौती की जा रही है। वहीं बड़े शहर भी कटौती से बचे नहीं हैं। यहां स्थानीय खराबी के नाम पर दो-दो घंटे बिजली गायब रह रही है।

बिजली संकट को देखते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने मरम्मत का काम तत्काल बंद करने की मांग की है। उनका कहना है कि पहले जनता को बिजली संकट से राहत से दी जानी चाहिए।

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