एक्सप्रेस वे और हाइवे पर हादसे रोकने के लिए पहली बार सेंसर आधारित मानीटरिंग सिस्टम को विकसित किया जा रहा है। ओवरलोडिंग, ओवरस्पीड और लेन उल्लंघन पर स्वचालित अलर्ट के बाद पेनाल्टी लगेगी। दायीं लेन खाली न करने पर तीन अलर्ट के बाद कार लॉक हो जाएगी। यूपीडा और फिक्की के सड़क निर्माण टेक्नोलाजी से जुड़े सेमिनार में ये जानकारी आईआईटी बीएचयू के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर बृंद कुमार ने ये जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि देश में पहली बार स्वदेशी सेंसर आधारित मानीटरिंग सिस्टम से हाइवे और एक्सप्रेस वे की निगरानी होगी। इसके तहत ओवरस्पीड, ओवरलोड व दायीं लेन का नियम तोड़ने वाली गाड़ियों की पहचान हो जाएगी। वाहन एप के जरिए पूरा रिकार्ड आ जाएगा। गाड़ी मालिक के पास अलर्ट जाएगाा। मास्टर कंट्रोल कार सिस्टम से ड्राइवर को भी अलर्ट जाएगा। दांयी लेन से हटने के लिए पांच किलोमीटर तक सिस्टम वाच करेगा। छठे किलोमीटर से सिस्टम एक्टिव हो जाएगा और गाड़ी की निगरानी शुरू कर देगा। दसवें किलोमीटर तक चेतावनी आने लगेगी। फिर भी दो किलोमीटर तक नहीं मानने पर गाड़ी ‘आटो मोड’ पर चली जाएगी। गाड़ी में अपने आप ब्रेक लगेंगे। धीरे-धीरे गाड़ी किनारे आ जाएगी और इनफोर्समेंट आकर सीज करेगी। इसके लिए वाहन कंपनियों से भी बात चल रही है। पूरे सिस्टम के लिए पहली बार देश में विश्वस्तरीय सेंसर बनाए जा रहे हैं। अभी फ्रांस, जर्मनी, यूके से आ रहे हैं। हमारा सिस्टम सस्ता और हमारी जरूरत के मुताबिक होगा।
हादसों को नहीं रोका तो विकास पर असर
प्रोफेसर कुमार ने कहा कि एक्सप्रेस वे और हाईवे बढ़ने के साथ-साथ हादसे भी बढ़ रहे हैं। इन्हें नहीं रोका तो विकास पर असर पड़ेगा। सबसे ज्यादा गल्तियां ड्राइवरों की लाइसेंसिंग प्रक्रिया में हो रही हैं। काम का दबाव भी एक कारण है। ओवरस्पीड और ट्रैफिक सेंस का न होना भी बड़ी वजह है। यातायात नियमों को तोड़ना शगल बन गया है। कई शहरों में ट्रैफिक मानीटरिंग सिस्टम है लेकिन पूरी तरह कारगर नहीं है। ऐसे लोगों को चेतावनी देने जरूरत है।
लंबे रूट पर ड्राइवर को जगाती रहेगी थर्मो प्लास्टिक सड़क
उन्होंने कहा कि लंबे रूट पर लगातार ड्राइव करने से आंखें और दिमाग मान लेती हैं कि सब ठीक है। शरीर का सेंसर नर्वस सिस्टम रिलेक्स मोड में चला जाता है।इसी के साथ खुली आंखें होते हुए भी मस्तिष्क ‘नींद के मोड’ में आ जाता है। इस अवस्था से ड्राइवर को जगाने के लिए थर्मो प्लास्टिक पेंट का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस पर वाहन आते ही झटके देता है। इसे प्रत्येक 20 किलोमीटर पर लगाने का प्रस्ताव है। साथ ही एक्सप्रेस व पर हल्का सा टर्न दिया जा रहा है ताकि गाड़ी के टर्न के साथ मस्तिष्क जाग्रत अवस्था में रहे। बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे पर इस तरह के रेज दिए गए हैं। ड्राइवर को नींद आते ही कड़कड़ाने की आवाज आने लगती है।
दुर्घटना की भयावहता कम करेंगे क्रैश बैरियर
यूपीडा के चीफ इंजीनियर श्रीराज ने बताया कि एक्सप्रेस वे को एटीएमएस यानी आटोमेटिक ट्रांसमिशन मैनेजमेंट सिस्टम से लैस किया जा रहा है। सभी के लिए टेंडर निकाले जा रहे हैं। क्रैश बैरियर पर लड़ने से गाड़ी वहीं रुक जाएगी और हादसे की भयावहता कम हो जाएगी। उसकी स्पीड को बैरियर ‘एब्सार्ब’ कर लेंगे। उन्होंने कहा कि 12 हफ्ते के अंदर बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे को हर हाल में दुरुस्त कर दिया जाएगा। सारी खामियां दूर कर दी जाएंगी। मेंटीनेंस के लिए किसी भी कांट्रैक्टर को अतिरिक्त धनराशि नहीं दी गई है क्योंकि पहले ही पांच साल के मेंटीनेंस का जिम्मा उनके पास है।