प्रदेश में लगे स्मार्ट मीटर कारगर नहीं है। वे जिस उद्देश्य के लिए लगाए गए थे, उसे पूरा नहीं कर रहे हैं। कहीं बिलिंग में गड़बड़ी हो रही है तो कहीं उपभोक्ताओं को मैसेज तक नहीं मिल पा रहा है। यह खुलासा हुआ है केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की जांच रिपोर्ट में है। मंत्रालय ने ऊर्जा विभाग को भेजी जांच रिपोर्ट में व्यवस्था में सुधार करने का निर्देश दिया है। इससे विद्युत वितरण निगमों में हड़कंप मचा हुआ है।

प्रदेश में करीब 12 लाख स्मार्ट मीटर लगे हैं। करीब 2.5 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया चल रही है। मीटरों की गड़बड़ियों को लेकर पिछले माह ऊर्जा मंत्रालय की टीम उत्तर प्रदेश आए थी। इस टीम ने हर विद्युत वितरण निगम के अलग- अलग इलाके में जाकर जांच की। मंत्रालय की ओर से 25 सितंबर को पावर कॉरपोरेशन को रिपोर्ट भेजी गई है।

 इस रिपोर्ट में अब तक लगे स्मार्ट मीटर की उपयोगिता पर ही सवाल खड़े कर दिए गए हैं। कहा गया है कि जिस उद्देश्य के साथ इन मीटरों को लगाया गया था, वे पूरी तरह से फेल हैं। बिलिंग सॉफ्टवेयर को सही तरीके से चलाने के लिए एमडीएम का इंटीग्रेशन बाधित है, जिसकी वजह से जनरेशन ऑफ बिल और बकाया पर कनेक्शन काटने और जोड़ने में भी समस्या आ रही है। नया बिलिंग सॉफ्टवेयर आने के बाद पिछले 6 माह से स्मार्ट मीटर पूरी तरीके से मैनुअली कम कर रहा है। 

भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार उपभोक्ताओं के परिसर पर लगाए गए चेक मीटर और मुख्य मीटर का मिलान नहीं किया जाता है। उनके मोबाइल ऐप काम नहीं कर रहे हैं। नेटवर्क की पूरी तरीके से समस्या आ रही है। भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय ने इस बात पर भी आपत्ति उठाई है कि भारत सरकार की गाइडलाइन के तहत 6 माह तक स्मार्ट मीटर में अधिक भार होने पर पेनल्टी नहीं ली जाएगी। इसके बाद भी पेनल्टी चार्ज की गई है। फिलहाल इस रिपोर्ट के आने के बाद शक्ति भवन से लेकर विद्युत वितरण कंपनियों में हड़कंप मचा है। क्योंकि निगमों में सभी विद्युत उपभोक्ताओं को स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की तैयारी चल रही है। ऐसे में पावर कॉरपोरेशन के अफसर भी चुप्पी साधे हुए हैं।

छह माह से नहीं मिली अलार्म अलर्ट सुविधा
भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि स्मार्ट मीटर को बकाये पर खुद ही कनेक्शन काट देना चाहिए, लेकिन जुलाई 2023 और अगस्त 2023 के आंकडे यह बताते हैं कि 22507 उपभोक्ता स्मार्ट मीटर वाले चिन्हित किए गए, जिन पर बकाया था। इसके बाद भी सिर्फ 18499 उपभोक्ता के कनेक्शन कटे, जबकि 4008 उपभोक्ता यानी करीब 17 फीसदी उपभोक्ता के कनेक्शन नहीं कटे। स्मार्ट मीटर वाले उपभोक्ताओं का जब बैलेंस 70 प्रतिशत, 80 प्रतिशत और 90 प्रतिशत बाकी रहता है तो उन्हें अलार्म अलर्ट मिलना चाहिए, लेकिन पिछले छह महीने से या सुविधा नहीं मिल पा रही है।

कंपनियों के खिलाफ हो कार्रवाई- वर्मा
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मांग की है कि उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी कर स्मार्ट मीटर लगाने वाली एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड, स्मार्ट मीटर निर्माता कंपनी व एलएनटी के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्हें काली सूची में डाला जाए।

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