राजस्थान के भरतपुर जिले में हुए बहुचर्चित कुम्हेर कांड में 31 साल बाद शनिवार को फैसला आ गया। एससी-एसटी न्यायालय ने नौ लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वहीं कोर्ट ने 41 लोगों को बरी कर दिया। 6 जून 1992 में दो समाजों के बीच झगड़ा हुआ। इसमें 16 लोगों की हत्या हो गई थी। जबकि 45 लोग घायल हुए थे।
दरअसल विवाद एक फिल्म देखने को लेकर शुरू हुआ था। लोगों का कहना था कि थियेटर में फिल्म देखने गए कुछ लोगों को कुर्सी पर नहीं बैठने दिया गया। उन्हें नीचे बैठकर ही फिल्म देखने को कहा गया। यह बाद एक समाज के लोगों को काफी बुरी लगी। उन्होंने इस बात को अपने सम्मान से जोड़ देखा। इसके बाद 5 जून को पंचायत का आयोजन किया गया।
इसके बाद शुरू होती है आगे की कहानी। 6 जून 1992 के दिन दोनों समाज के लोग एक बार फिर आमने-सामने आ गए। उनके बीच विवाद शुरू हो गया। मामला सम्मान और स्वाभिमान का था तो दोनों तरफ से लोग कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे, अजांम की फिक्र किए बिना। फिर वहीं हुआ जिसका लोगों को डर था।
झगड़ा बढ़ा और इतना बढ़ा कि 16 लोगों को अपनी जान गवांनी पड़ी। जबकि करीब 45 लोग घायल हुए। जो इलाज के बाद ठीक हो गए। इस कांड ने पूरे प्रदेश को दहला दिया। हर आदमी की जुबान पर इस कांड की कहानी थी। करीब 31 साल तक चले इस केस के दौरान अब तक 36 लोगों की मौत हो चुकी है। इतनी बेरहमी से मारा गया कि 5 लोगों की शिनाख्त तक नहीं हो सकी।
केस से जुड़े अधिवक्ता राजेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि शनिवार को एससी-एसटी न्यायालय के विशेष न्यायाधीश गिरजा भारद्वाज ने फैसला सुनाया। इसमें लक्खो, पारस जैन, प्रेम सिंह, चेतन, मान सिंह, शिव सिंह, राजवीर, पीतम और गोपाल तो आजीवन कारावास का सजा सुनाई गई है। बताया कि कुम्हेर कांड में 87 लोगों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई थी। केस से जुड़े 36 लोगों की मौत हो चुकी है। मुकदमे में कुल 283 गवाह पेश किए गए।