पावर कॉरपोरेशन ने तीन दिन में ही यू टर्न ले लिया है। चेक से बिजली बिल भुगतान नहीं होने संबंधी आदेश मंगलवार शाम रद्द कर दिया गया है। अब सभी विद्युत वितरण निगमों को पहले की तरह ही बिल जमा कराने का निर्देश दिया गया है।
पावर कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार ने 16 सितंबर को सभी विद्युत वितरण निगमों के प्रबंध निदेशकों को आदेश दिया था कि चेक के जरिए बिजली बिल भुगतान न लिया जाए। इस आदेश को एक नवंबर से लागू करने की तैयारी थी। इसके पीछे तर्क दिया गया कि चेक से जमा होने पर क्लीयरिंग में समय लगता है। कई बार चेक बाउंस होने की भी स्थिति आती है। इस आदेश के जारी होने के बाद उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग में विद्युत वितरण संहिता उल्लंघन में अवमानना संबंधी आपत्ति दाखिल की। बताया कि राजस्व वृद्धि के लिए अतिरिक्त मार्गदर्शी सिद्धांत के तहत आदेश जारी किया गया है, जिसमें एक बिंदु यह भी है कि चेक से भुगतान नहीं लिया जाएगा। यह आदेश विद्युत वितरण संहिता- 2005 की धारा 6.10 भुगतान के ढंग का खुला उल्लंघन है।
संहिता में स्पष्ट है कि उपभोक्ता 20 हजार नगद, चेक, डिमांड ड्राफ्ट आदि से भुगतान कर सकते हैं। इसके बाद पावर कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार एवं निदेशक वाणिज्य अमित कुमार श्रीवास्तव से मुलाकात कर विद्युत वितरण संहिता की जानकारी दी। यह भी बताया कि वह आयोग में आपत्ति दाखिल कर चुके हैं। बढ़ते विरोध को देखते हुए पावर कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक ने मंगलवार देर शाम चेक से भुगतान न लेने संबंधी आदेश वापस ले लिया है। उन्होंने इस संबंध में सभी प्रबंध निदेशकों को आदेश जारी कर दिया है।