ज्ञानवापी में सर्वे के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को चार सप्ताह का अतिरिक्त समय मिल गया है। अब छह अक्तूबर 2023 तक सर्वे करके रिपोर्ट अदालत में दाखिल करनी है। शनिवार को जिला अदालत में सर्वे की समयसीमा बढ़ाने और आपत्ति पर एएसआई के साथ ही अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से अलग-अलग दलीलें दी गईं।

एएसआई के अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने कहा कि मलबे की वजह से सर्वे में दिक्कत आ रही है। भवन का हिस्सा ढंका है। अतिरिक्त समय दिया जाना चाहिए। कमेटी ने तर्क दिया कि अदालत के आदेश का उल्लंघन किया जा रहा है।

  • एएसआई की दलील

– तहखाने का मलबा सावधानीपूर्वक हटाया जा रहा, इस वजह से समय लग रहा।
– भवन के किसी आकृति को नुकसान न पहुंचे, इसलिए सावधानी बरती जा रही है।
– आर्कियोलॉजिस्ट, आर्किलॉजिकल केमिस्ट, एपी ग्राफिस्ट, सर्वेयर, फोटोग्राफर और अन्य तकनीकी विशेषज्ञ वैज्ञानिक जांच और डॉक्यूमेंटेशन में लगाया गया।
– हैदराबाद स्थित नेशनल जियोफिसिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई) के विशेषज्ञों का दल जीपीआर सर्वे कर रहा।
– कूडा, मिट्टी, ईंटें, पत्थर के स्लैब व उनके टुकड़े और अन्य निष्प्रयोज्य सामान प्रश्नगत ढांचे के तहखानों में फर्श पर जमा, जिससे भवन का मूल अंग नहीं दिखाई दे रहा है।
 

  • मसाजिद कमेटी की दलील

– इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया जा रहा।
– अनुमति के बिना ही तहखानों और दीगर जगहों पर मिट्टी की खोदाई की गई।
– दो ट्रक मिट्टी बाहर ले जाई गई।
– पश्चिमी दीवार के पश्चिम में बैरिकेडिंग के अंदर जो मलबा या मिट्टी मौजूद है, उसे हटाने या दूसरे स्थान पर इकट्ठा करने से इमारत गिर सकती है।
– सर्वे विलंबित करने के उद्देश्य से एएसआई समयसीमा बढ़ाने की मांग कर रहा।

तीन अधिवक्ताओं ने रखा मसाजिद कमेटी का पक्ष

अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से मुमताज अहमद, एखलाक अहमद और रईस अहमद ने सिलसिलेवार हिंदू पक्ष के आवेदन पत्रों के विरोध में पक्ष रखा।एएसआई की ओर से भारत सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल अमित श्रीवास्तव व उनके सहयोगी शंभू शरण सिंह, राज्य सरकार की तरफ से विशेष अधिवक्ता राजेश मिश्र और पुलिस-प्रशासन की तरफ से डीजीसी सिविल महेंद्र पांडेय सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद रहे। 

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