मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने भारत सरकार में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के सचिव पंकज कुमार के साथ सोमवार को केन-बेतवा लिंक परियोजना व हिंडन नदी की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हिंडन नदी प्रदूषण मुक्त होने की कगार पर है। उन्होंने हिंडन नदी का नाम हर नंदी रखने का सुझाव दिया।

मुख्य सचिव ने हिंडन नदी के किनारों पर साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने और नदी के आसपास पौधारोपण कराने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि नदी में सीवेज व इंडस्ट्रीयल वेस्ट का पानी कतई न छोड़ा जाए। वर्तमान समय में प्रदेश में उद्योगों से निकलने वाला अपशिष्ट गंगा नदी में प्रवाहित नहीं हो रहा है। 

वहीं केन-बेतवा लिंक परियोजना की समीक्षा के दौरान कहा कि यह परियोजना बुंदेलखंड क्षेत्र की जल सुरक्षा और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। हमारा लक्ष्य है कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और जानकारी का उपयोग करके इस परियोजना को समयबद्ध तरीके से पूर्ण किया जाए। 

उन्होंने विभागीय अधिकारियों को वित्तीय वर्ष 2023-24 के साथ-साथ 2024-25 के लिये कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिये, ताकि भारत सरकार से बजट आवंटित कराया जा सके। बैठक में अपर मुख्य सचिव वन एवं पर्यावरण मनोज सिंह, प्रमुख सचिव सिंचाई अनिल गर्ग, प्रमुख सचिव नमामि गंगे अनुराग श्रीवास्तव सहित संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

मौसम के ऊपर निर्भर है नदी

हिंडन नदी पूरी तरह से मौसम बारिश के ऊपर निर्भर नदी है। यह नदी मुजफ्फरनगर जिला से निकलने के बाद मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा से गुजरते हुए दिल्ली से कुछ दूरी पर यमुना नदी में जाकर मिल जाती है। हिंडन नदी का पानी ज्यादातर काला रहता है। इसकी वजह इस नदी में दिल्ली-एनसीआर में गिरने वाले नाले हैं। 

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