प्रदेश में छह बिजली उत्पादन इकाइयां ठप हो गई हैं। इससे 1937 मेगावाट कम बिजली उत्पादन हो रहा है। ऐसे में बारिश थमी और गर्मी बढ़ी तो प्रदेशवासियों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ सकता है। उत्पादन ठप होने की वजह तकनीकी खामी बताई जा रही है।

प्रदेश में पिछले सप्ताह चार विद्युत उत्पादन इकाई ठप हो गई थीं। इस बार छह उत्पादन इकाई ठप हुई हैं। इसमें टांडा की दो यूनिटों से 220 मेगावाट, मेजा से 528 मेगावाट, रिहंद से 189 मेगावाट, अनपरा की दो यूनिटों से एक हजार मेगावाट बिजली पावर कॉरपोरेशन को मिलती थी। इसमें टांडा की एक और मेजा की एक यूनिट रविवार को शुरू हो सकती है, जबकि रिहंद और अनपरा की उत्पादन इकाइयां 29 अगस्त तक शुरू होने की संभावना है।

पावर कॉरपोरेशन की ओर से उत्पादन इकाइयों के ठप होने की वजह तकनीकी खामी (ब्वायलर ट्यूब लिकेज) बताया जा रहा है। इन यूनिटों के ठप होने से उत्पादन कम हो रहा है। ऐसी स्थिति में गर्मी बढ़ी तो प्रदेशवासियों को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि, अभी प्रदेश में बिजली की मांग करीब 24 हजार मेगावाट है। इसमें उत्पादन निगम की यूनिटों से 3915 मेगावाट बिजली मिल रही है, जबकि 12 हजार मेगावाट आयातित बिजली से काम चलाया जा रहा है। फिलहाल इस मौसम में भी ग्रामीण इलाके में 18 घंटे के बजाय 17.58 घंटे बिजली आपूर्ति का दावा किया जा रहा है। विभागीय रिपोर्ट में सिर्फ ग्रामीण इलाके में दो मिनट की कटौती दिखाई जा रही है।

तकनीकी कारणों से बंद हुई यूनिटें

प्रदेश में बिजली का इंतजाम है। उपभोक्ताओं को किसी तरह की समस्या नहीं होगी। कुछ यूनिट तकनीकी कारणों से बंद हुई हैं। इस तरह की समस्या कभी-कभार आती रहती है। टीमें लगी हुई हैं। जल्द ही ये इकाइयां फिर से बिजली उत्पादन करने लगेंगी।- डा. आशीष कुमार गोयल, अध्यक्ष पावर कॉरपोरेशन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *