बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि कांग्रेस की तरह ही जनता अब भाजपा से भी मुक्ति चाहती है। दोनों की कथनी, करनी एक जैसी है और यही कारण है कि बसपा किसी से भी गठबंधन नहीं करेगी। वह अपने दम अकेले लोकसभा चुनाव लड़ेगी। मायावती बुधवार को पार्टी प्रदेश कार्यालय पर पदाधिकरियों की बैठक ले रहीं थीं।
मायावती ने कार्यकर्ताओं से लोकसभा चुनाव की तैयारियों में मजबूती से जुट जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि खर्चीले तामझाम एवं चुनावी नुमाइशों से दूर रहकर छोटी छोटी बैठकों के आधार पर पार्टी को मजबूत करें। बसपा को चुनाव में गठबंधन करके लाभ की बजाय नुकसान उठाना पड़ता है। बसपा का वोट तो दूसरी पार्टी को ट्रांसफर हो जाता है पर दूसरी पार्टियां बसपा को अपना वोट बैंक ट्रांसफर करने की नीयत नहीं रखती हैं। बसपा पक्ष और विपक्ष दोनों से दूर रहेगी। भाजपा की संकीर्ण, जातिवादी एवं साम्प्रदायिक राजनीतिक के कारण लोगों का जीवन दुखी व त्रस्त है।
वह अपना जनाधार खो रही है। यही कारण है कि लोकसभा चुनाव एकतरफा नहीं बल्कि दिलचस्प होगा। इसका लाभ बसपा को मिलेगा। यह चुनाव राजनीति को नई करवट देने वाला होगा। कांग्रेस की तरह ही भाजपा की कथनी और करनी में अंतर का असर यह आया है कि मुट्ठीभर लोगों को छोड़कर देश के बहुजन समाज के लोगों को अपने परिवार का भरण पोषण करना भी मुश्किल हो रहा है। इसका पूरा असर लोकसभा चुनाव पर आएगा। दोनों की नीतियों एवं कार्यशैली से देश के गरीबों, मजदूरों, दलितों, पिछड़ों, धार्मिक अल्पसंख्यकों का अहित ही ज्यादा हुआ है। बैठक में उन्होंने सभी सेक्टरों की समीक्षा की। इस मौके पर नेशनल कोआर्डिनेटर आकाश आनंद, राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र, प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल, मुनकाद अली, शमशुद्दीन राइन आदि मौजूद रहे।
कंधे पर धरकर हाथ, मायावती ने दिखाया उम्मीदों का आकाश
बसपा प्रमुख मायावती ने बुधवार को हुई बैठक में यह साफ कर दिया कि पार्टी में आने वाला समय उनके भतीजे आकाश आनंद का है। जिस तरह से उन्होंने न केवल चुनाव में जुटे आकाश को लखनऊ की बैठक में बुलाया और उनके कंधे पर हाथ धरा, उसने एक तरह से साफ कर दिया कि आनंद बसपा के लिए खास हैंं। लोकसभा चुनाव में उनकी अहम भूमिका रहने वाली है और पार्टी की विरासत संभालने के लिए उनसे आगे कोई नहीं है।
बसपा ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारियों को धार देनी शुरू कर दी है। इस साल मध्य प्रदेश , राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं। बसपा ने इन राज्यों में इस बार अपनी तैयारी जोरदार तरीके से की है। राजस्थान में तो पार्टी के नेशनल कोआर्डिनेटर आकाश आनंद रैलियां कर रहे हैं। इधर यूपी में हांफ रही बसपा ने अगले साल हो रहे लोकसभा चुनाव के लिए भी अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं। जिस तरह से बसपा का प्रदर्शन विधानसभा चुनाव में रहा है, उसे देखकर बसपा के सामने पिछले लोकसभा चुनाव के परिणाम को दोहराना ही बड़ी चुनौती है। पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा को दस सीटें मिलीं थीं।