कांग्रेस ने पूर्व विधायक अजय राय को प्रदेश की कमान सौंप कर एक साथ कई निशाने साधे हैं। राय लगातार पांच बार विधायक रहे हैं। पार्टी ने राय की नियुक्ति के जरिए यह साफ संदेश का प्रयास किया है कि वह नए सिरे से संघर्ष के लिए तैयार हो रही है। दूसरी तरफ इंडिया की ताकत बढ़ाने का भी विकल्प दिया है। प्रदेश की सियासी नब्ज पर नजर रखने वालों का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी को हटाकर भूमिहार जाति के अजय राय की ताजपोशी के कई मायने हैं।

विपक्ष की भूमिका में आने के बाद कांग्रेस की पहचान जनहित के मुद्दे पर निरंतर संघर्ष के लिए रही। लेकिन वक्त बदले और समय के साथ उसकी कार्यप्रणाली में भी बदलाव हुआ, जिसका नतीजा रहा कि पार्टी धीरे-धीरे सियासी जमीं से उखड़ती गई। वर्ष 2022 के चुनाव में विधायकों की संख्या घटकर सिर्फ दो रह गई है। यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका रहा। विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने त्यागपत्र दे दिया। 

पार्टी ने करीब छह माह बाद एक अक्तूबर 2022 को नया प्रयोग करते हुए दलित वर्ग से ताल्लुक रखने वाले पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी को अध्यक्ष और नकुल दुबे, वीरेंद्र चौधरी, अनिल यादव, योगेश दीक्षित, अजय राय और नसीमुद्दीन को प्रांतीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। ये सभी प्रांतीय अध्यक्ष अलग-अलग इलाके और अलग-अलग जातियों से थे। इस रणनीति के जरिए कांग्रेस हाईकमान ने हर क्षेत्र को एक अध्यक्ष देकर संगठन को सक्रिय करने की रणनीति बनाई। विभिन्न दलों के तमाम नेताओं के कदम कांग्रेस की ओर बढ़े, लेकिन उस तरह का संघर्ष नहीं दिखा, जिसकी वह उम्मीद करती है। पार्टी ने अजय राय के जरिए फिर से जुझारूपन के साथ मैदान में उतरने का संदेश दिया है। वजह, पांच बार विधायक रहे अजय राय हर स्तर पर संघर्ष के लिए तैयार रहते हैं।

इंडिया की ताकत बढ़ाना तो मकसद नहीं
लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो राजेंद्र वर्मा कहते हैं कि खाबरी को हटाना कांग्रेस हाईकमान की दूरगामी सियासी सोच हो सकती है। वह कहते हैं कि पूर्व सांसद खाबरी को संगठन में कोई न कोई जिम्मेदारी मिलनी तय माना जा रहा है। लेकिन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस प्रयोग का दूसरा पहलू यह है कि इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) की ताकत बढ़ाना भी हो सकता है। अभी तक इंडिया में बसपा प्रमुख मायावती नहीं है। पूर्व सांसद खाबरी हों या नसीमुद्दीन, इनके नेतृत्व को लेकर मायावती सवाल खड़े कर सकती थीं। अब ये नेता पर्दे के पीछे रहेंगे। बसपा से तालमेल के लिहाज से यह पृष्ठभूमि भी हो सकती है।

11 माह ही अध्यक्ष रह पाए पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी
कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बृजलाल खाबरी को सिर्फ 11 माह का कार्यकाल मिला। उन्होंने प्रदेश कार्यकारिणी का भी गठन नहीं किया। खास बात यह है कि उनके कार्यकाल में कांग्रेस की प्रभारी रहीं प्रियंका गांधी का भी कोई दौरा नहीं हुआ। खाबरी के बदले जाने की करीब दो माह से चर्चा चल रही थी। अब तस्वीर साफ हो गई है। खाबरी का कहना है कि उन्होंने बतौर अध्यक्ष पार्टी को निरंतर आगे बढ़ाने का कार्य किया है। उनके कार्यकाल में सपा, भाजपा, बसपा से तमाम नेताओं ने कांग्रेस की सदस्यता ली है। वह अपनी कार्य से पूरी तरह संतुष्ट हैं। आगे भी शीर्ष नेतृत्व जो जिम्मेदारी देगा, उसे पूरी जिम्मेदारी से निभाएंगे।

कार्यकर्ताओं का बढ़ा उत्साह, तमाम लोगों ने दी बधाई
पूर्व विधायक अजय राय के अध्यक्ष बनने पर पार्टी के तमाम लोगों ने बधाई दी। पार्टी के प्रवक्ता अशोक सिंह ने कहा कि अजय राय के नेतृत्व में नए उत्साह के साथ संगठनात्मक सक्रियता बढ़ेगी। इसी तरह मुकेश सिह, मनोज यादव, प्रमोद पांडेय आदि ने भी उन्हें बधाई दी।

संगठन की सक्रियता और लोकसभा में दमदार प्रदर्शन होगी प्राथमिकता
कांग्रेस हाईकमान ने अब तक कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष रहे पूर्व विधायक अजय राय को प्रोन्नति देते हुए प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी वाराणसी से चुनाव लड़ चुके हैं। नवनियुक्त अध्यक्ष ने बताया कि संगठन की सक्रियता और लोकसभा चुनाव में दमदार प्रदर्शन उनकी प्राथमिकता होगी। पार्टी के हर नेता एवं कार्यकताओं के मान- सम्मान की रक्षा की जाएगी।

पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपन की ओर से बृहस्पतिवार को जारी पत्र में अजय राय को अध्यक्ष बनाने की घोषणा की गई है। इसके साथ ही अध्यक्ष बृजलाल खाबरी और अन्य प्रांतीय अध्यक्षों के कार्यकाल की सराहना की है। पार्टी शीर्ष नेतृत्व की ओर से लोकसभा चुनाव से ठीक पहले किए गए इस बदलाव को सियासी नजरिए से अहम माना जा रहा है। पूर्व विधायक राय को जुझारू नेता के रूप में पहचाना जाता है। खासतौर से वह पूर्वांचल में मजबूत पकड़ रखते हैं। इस इलाके को कांग्रेस भी अपने लिए उपजाऊ मानती रही है। पांच बार विधायक रहे अजय राय ने 2012 में कांग्रेस का हाथ थामा और उसी साल विधानसभा उपचुनाव में वाराणसी की पिंडरा सीट से पांचवी बार विधायक बने। इसके बाद से लगातार कांग्रेस में रहे।

कौन हैं अजय राय
वाराणसी निवासी 54 वर्षीय अजय राय भूमिहार जाति से ताल्लुख रखते हैं। उन्होंने 1996 में भाजपा की सदस्यता ली और कोलअसला सीट से विधायक बने। वर्ष 2009 में सपा का दामन थामा। वह मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। इसके बाद कांग्रेस का हाथ पकड़ा और वर्ष 2014 और 2019 में वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े।

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