वाराणसी के ज्ञानवापी मसले को लेकर दो धड़े में बंटे मां श्रृंगार गौरी मुकदमे के हिंदू पक्ष के बीच की रार एक बार फिर सतह पर आ गई है। एक धड़े ने मुस्लिम पक्ष को न्यायालय से बाहर आपसी सहमति से शांतिपूर्ण तरीके से निस्तारण और आपसी बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। वहीं, दूसरे धड़े का कहना है कि हम कोई समझौता नहीं करेंगे
ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी का मुकदमा सितंबर 2021 में जिला अदालत में राखी सिंह, सीता साहू, मंजू पाठक, रेखा व्यास और लक्ष्मी देवी ने दाखिल किया था। ज्ञानवापी में अधिवक्ता आयुक्त के सर्वे के दौरान वादिनी महिलाओं और उनके पैरोकारों के बीच अनबन हो गई। उसके बाद एक धड़ा राखी सिंह का हो गया। वहीं, दूसरा धड़ा सीता साहू, मंजू पाठक, रेखा व्यास और लक्ष्मी देवी का हो गया।
बीते 14 अगस्त को राखी सिंह के पैरोकार व विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन ने अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के नाम से खुला पत्र जारी किया था। अपने पत्र में विसेन ने कहा कि अपने देश और समाज की रक्षा व सुरक्षा का कर्तव्य रखते हुए इस विवाद का निस्तारण शांतिपूर्ण तरीके से आपसी बातचीत के माध्यम से निकाल कर एक मिसाल कायम की जा सकती है।
इसे लेकर गुरुवार को चार अन्य वादिनी महिलाओं के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अदालत के बाहर कोई भी समझौता सीपीसी के तहत कानूनी तौर पर संभव नहीं है। बातचीत के प्रस्ताव की कोई कानूनी अहमियत नहीं है। सीपीसी में साफ कहा गया है कि जब तक सभी पक्ष राजी नहीं होते हैं, तब तक कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।
ोउन्होंने कहा कि देश और समाज से जुड़े मामलों में जहां पूरे समाज को शामिल करते हुए प्रतिनिधि वाद दायर किया जाता है, वहां पर कोई व्यक्ति या पक्ष अकेले समझौता करना भी चाहे तो भी नहीं कर सकता है। इसलिए सीपीसी के तहत अदालत से बाहर समझौते की कोई भी पहल संभव नहीं है, क्योंकि यह कानूनी रूप से संभव नहीं है।
हम एक इंच जमीन भी छोड़ने को तैयार नहीं
विष्णु शंकर जैन ने कहा कि हमारा कोई भी पक्ष या क्लाइंट अदालत के बाहर समझौते के लिए तैयार नहीं है। वे इस तरह के किसी समझौते के लिए इच्छुक नहीं है क्योंकि ऐसा करने के लिए पक्ष को अपने कुछ अधिकार छोड़ने होंगे और वे एक इंच भी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने पूछा कि आखिर यह समझौता होगा कैसे? समझौता तभी होता है जब आप अपने कुछ अधिकार छोड़ देते हैं और दूसरा व्यक्ति अपने कुछ। यहां हम बैरिकेड के अंदर की एक इंच जमीन भी छोड़ने को तैयार नहीं हैं। हम चाहते हैं कि पूरा क्षेत्र बैरिकेड के अंदर हो।
मुस्लिम पक्ष के माफी मांगनी चाहिए
विष्णु शंकर जैन ने कहा कि जिस तरह से उन्होंने एक मंदिर को मस्जिद के रूप में इस्तेमाल किया है, उसके लिए मुस्लिम पक्ष को माफी मांगनी चाहिए। इसलिए समझौते का कोई सवाल ही नहीं है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद मस्जिद के वुजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर का चार अगस्त से वैज्ञानिक सर्वे शुरू है। एएसआई को यह जांचना है कि क्या मस्जिद का निर्माण पूर्व में किए गए हिंदू मंदिर के ऊपर किया गया है।