आगरा के विशेष न्यायाधीश पाॅक्सो एक्ट प्रमेंद्र कुमार ने सेना में नायक के पद पर कार्यरत एन घनश्याम को दोषी माना है। उन्होंने कठोर आजीवन कारावास और एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।

वर्ष 2019 में पीड़िता ने भोपाल के महिला थाना में केस दर्ज कराया था। मणिपुर के थोबल निवासी एन घनश्याम को नामजद किया। घटनास्थल आगरा था। वर्ष 2020 में विवेचना आगरा स्थानांतरित कर दी गई। पीड़िता के मुताबिक 2013 में पिता आगरा में सेना में तैनात थे। उस समय वह साढ़े 11 साल की थी। एन घनश्याम का घर पर आना-जाना था। एक दिन घनश्याम घर आए। अकेले में पकड़ लिया, अश्लील हरकत की। एक दिन नहाते हुए वीडियो बना लिया। वीडियो दिखाकर शारीरिक शोषण करने लगे।

पिता का स्थानांतरण होने पर भी साथ आया। वह डर की वजह से किसी से कुछ नहीं कह पा रही थी। एक दिन हिम्मत दिखाकर बताया और केस दर्ज कराया गया। एडीजीसी सुभाष गिरी और विशेष लोक अभियोजक विजय कृष्ण लवानिया ने कोर्ट में पीड़िता सहित आठ गवाह और सुबूत केस में पेश किए। तर्क दिया कि अभियुक्त सेना में बतौर लोकसेवक और पीड़िता के पिता के साथ ग्रुप में तैनात था। उसने बच्चों का संरक्षक होते हुए भी घृणित एवं सामाजिक व्यवस्थाओं के विपरीत कार्य किया। उसे अधिक से अधिक दंड दिया जाए।

कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की। कहा कि घृणित अपराध करते समय अभियुक्त 32 वर्ष का शादीशुदा व्यक्ति था। उसने 11 वर्ष की बालिका के साथ न सिर्फ लैंगिक हमला किया, अपितु उसके नहाते समय के वीडियो दिखाकर उसे भयभीत किया। पीड़िता इतनी भयभीत थी कि उसे माता-पिता को घटना के बारे में बताने में सात वर्ष 10 महीने लग गए। कोर्ट ने अभियुक्त को जान से मारने की धमकी देने में दो वर्ष व 5000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। वहीं आईटी एक्ट की धारा 67 में तीन वर्ष कारावास व 25 हजार रुपये अर्थदंड, पाॅक्सो एक्ट में कठोर आजीवन कारावास व एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।

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