शहरों में दूरदराज के इलाकों से लेकर गांव-गांव तक 5-जी नेटवर्क पहुंचाने के लिए प्रदेश सरकार वे इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों को बड़ी राहत दी है। उनसे प्रति खंभे पर लिए जाने वाले शुल्क में 90 फीसदी से ज्यादा कटौती कर दी गई है। 5जी बॉक्स लगाने के लिए कंपनियों को शहरी क्षेत्रों में 300 रुपये और ग्रामीण इलाकों में केवल 150 रुपये सालाना देना पड़ेंगे। ये फैसले मंगलवार को कैबिनेट बैठक में लिए गए।
भारत सरकार के इंडियन राइट ऑफ वे नियम में नवंबर 2022 में संशोधन हुआ था। इसे प्रदेश में भी स्वीकार कर लिया गया है। इसके तहत दूरसंचार कंपनियों को बड़ी राहत दी गई है। इंटरनेट कंपनियां बिजली विभाग के खंभों से अपने तार ले जाती हैं तो कंपनियों को एक खंबे के एवज में सालाना 1700 रुपये शुल्क पावर कॉर्पोरेशन को देना पड़ता है। अब इसे घटाकर सिर्फ 100 रुपये कर दिया गया है। 5जी नेटवर्क के लिए कंपनियों को खंभों पर बॉक्स लगाने पड़ेंगे। इसके एवज में उन्हें शहरी इलाकों के लिए 300 रुपये और ग्रामीण इलाकों के लिए 150 रुपये शुल्क देना होगा।
केबल लाइन के लिए सड़क खोदने के नियम सख्त
केबल लाइन बिछाने के लिए सड़क खोदने के नियम भी सख्त किए गए हैं। सड़क खोदने वाली कंपनी को दो विकल्प किए गए हैं। पहला या तो सड़क बनने में आने वाला खर्च कंपनी संबंधित विभाग में जमा कर दे और अनुमति पत्र लेकर सड़क खोदे। दूसरा- कंपनी खुद भी सड़क बनवा सकती है लेकिन इसके लिए उसे कुल खर्च की 20 फीसदी रकम बैंक गारंटी के रूप में विभाग में जमा करनी होगी। सड़क बनने के बाद उसकी गुणवत्ता का आंकलन किया जाएगा। सही पाए जाने पर बैंक गारंटी लौटा दी जाएगी।
घर की छत पर टावर लगाना नहीं रहा आसान
अब घर की छत पर टावर लगाने से पहले स्ट्रक्चरल इंजीनियर से इमारत की सुरक्षा रिपोर्ट लेना होगी। इसके अलावा प्राधिकरण से भी अनुमति लेना होगा। दोनों प्रमाणपत्रों के बाद ही कंपनियां छत पर टावर लगा सकेंगी।