मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद को मंदिर बताने वाले बयान को अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने न्यायालय की अवमानना बताया है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की है कि जिन अदालतों में यह मुद्दा विचाराधीन है वो योगी आदित्यनाथ के इस बयान पर स्वतः संज्ञान लेकर उनके खिलाफ़ कार्रवाई करेंगी।
कांग्रेस मुख्यालय से जारी बयान में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाई कोर्ट और बनारस जिला कोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद पर सुनवाई के लिए कई वाद विचाराधीन हैं। ऐसे में योगी आदित्यनाथ का ज्ञानवापी मस्जिद को मंदिर बताने वाला बयान इन अदालतों की अवमानना है। जिस पर स्वतः संज्ञान लेकर अदालतों को योगी आदित्यनाथ के खिलाफ़ कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुरूप शासन चलाने की शपथ ली है इसलिए उनकी ज़िम्मेदारी है कि वो पूजा स्थल अधिनियम 1991 की रक्षा करें न कि उसकी भावना के खिलाफ़ वक्तव्य दें।
उन्होंने कहा कि इस बयान में उनका यह कहना कि ‘ज्ञानवापी को मस्जिद कहेंगे तो विवाद होगा’ उसे मस्जिद मानने वालों को धमकी देने के समान है। जो इसे हेट स्पीच के दायरे में लाता है। उन्होंने कहा कि 28 अप्रैल 2023 को दिये फैसले में सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि हेट स्पीच मामलों में पुलिस बिना किसी शिकायत के स्वतः एफआईआर दर्ज करे। उन्होंने कहा पुलिस महकमा तो मुख्यमंत्री के खिलाफ़ एफआईआर दर्ज करेगा नहीं इसलिए सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश का पालन भी अदालतों को करते हुए उनके खिलाफ़ हेट स्पीच का एफआईआर दर्ज करना चाहिए। इससे नागरिकों में यह संदेश जायेगा कि कोर्ट के सामने सभी अपराधी बराबर हैं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि कोर्ट को यह भी संज्ञान में रखना चाहिए कि योगी आदित्यनाथ के संगठन हिंदू युवा वाहिनी ने उनकी फोटो वाले बैनर के साथ पिछले साल 8 अप्रैल 2022 को ज्ञानवापी मस्जिद के सामने उसे तोड़ने की धमकी देने वाले नारे लगाए थे। जिस पर बनारस की पुलिस प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। यानी मुख्यमंत्री जी का अभी का बयान एक लम्बे आपराधिक षड्यंत्र हिस्सा है। जिसका मकसद सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कराना है।