विद्युत वितरण निगम की ओर से इस वर्ष बिजली दर में औसतन 15.85 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया गया है। इसमें 100 यूनिट वाले उपभोक्ताओं की दर में करीब 30 फीसदी बढ़ोतरी का प्रस्ताव है। इन प्रस्तावों पर उपभोक्ताओं का पक्ष जानने के लिए 21 अप्रैल को लखनऊ में सुनवाई होगी।
प्रदेश में विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में बढ़ोतरी से पहले सुनवाई का प्रावधान है। इसके तहत 10 अप्रैल को वाराणसी में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की सुनवाई हो चुकी है। अब 21 अप्रैल को मध्यांचल और ट्रांसमिशन की सुनवाई नियामक आयोग सभागार में होगी। निगम की ओर से दी गई प्रस्तावित दरों को लेकर व्यापक तौर पर विरोध हो रहा है।
लखनऊ में भी दरों में बढ़ोतरी को लेकर विरोध की तैयारी शुरू हो गई है। क्योंकि विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर करीब 25133 करोड़ का बकाया चल रहा है। ऐसे में पहले इस धनराशि को बिल में समायोजित करने की मांग की जा रही है।
उपभोक्ता श्रेणी प्रस्तावित वृद्धि
घरेलू 18.59 प्रतिशत
प्राइवेट व सरकारी संस्थान 17.62 प्रतिशत
अस्थाई कनेक्शन 18.90 प्रतिशत
भारी उद्योग 16.25 प्रतिशत
लिफ्ट इरिगेशन 16.26 प्रतिशत
वाणिज्यिक 11.55 प्रतिशत
किसी भी कीमत पर बढोतरी स्वीकार नहीं: अवधेश कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली दरों में बढ़ोतरी के सबंध में दिए गए प्रस्ताव गलत है। ग्रामीण क्षेत्र में घरेलू विद्युत उपभोक्ता जो बीपीएल के अलावा करीब 100 यूनिट बिजली खर्च करते हैं, उन्हें 3.35 रुपया प्रति यूनिट बिजली मिलती थी। अब इसे 4.35 रुपया प्रति यूनिट किया गया है। यह करीब 30 फीसदी बढ़ोतरी है। बिजली कंपनियों ने जल्दबाजी में व्यापक बिजली दर बढ़ोतरी प्रस्तावित की है। यही वजह है कि उपभोक्ता की पहले से जमा राशि का कहीं जिक्र नहीं किया जा रहा है। सीधे नए स्तर पर दर बढ़ोतरी की बात की जा रही है। इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।