विधायक इरफान सोलंकी के खिलाफ एमपीएमएलए सेशन कोर्ट के विशेष न्यायाधीश सत्येंद्र नाथ त्रिपाठी की अदालत में शुक्रवार से जाजमऊ आगजनी मामले की सुनवाई शुरू हो गई। अभियोजन की ओर से पेश किए गए गवाह के बयान और जिरह कोर्ट में हुए।
वहीं, वादिनी के बयान के लिए कोर्ट ने 20 मार्च की तारीख नियत कर दी है। महाराजगंज जेल में बंद इरफान सोलंकी को एमपीएमएलए सेशन कोर्ट में पेश किया गया। मुकदमे में अन्य आरोपी रिजवान सोलंकी, मो.शरीफ, शौकत अली व इसराइल आटे वाला को भी कानपुर जेल से कोर्ट लाया गया।
एडीजीसी भास्कर मिश्रा ने बताया कि अभियोजन की ओर से जाजमऊ थाने में एफआईआर लिखने वाले पुलिसकर्मी संजीव कुमार को गवाह के रूप में कोर्ट में पेश किया गया। संजीव ने बयान दर्ज कराए। इसके बाद इरफान व रिजवान के अधिवक्ता सईद नकवी और करीम अहमद सिद्दीकी ने उससे जिरह की।
तीन ने दिया आरोप मुक्ति प्रार्थना पत्र
इसके बाद इरफान को एमपीएमएलए लोअर कोर्ट के विशेष न्यायाधीश आलोक यादव की अदालत ले जाया गया। यहां फर्जी आधार कार्ड मामले में आरोप तय होने थे। लेकिन, आरोपी नूरी शौकत, उनके भाई अशरफ और मौसा इशरत की ओर से अधिवक्ता रवींद्र वर्मा ने आरोप मुक्ति प्रार्थना पत्र दाखिल कर दिया। इस पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए 25 मार्च की तारीख नियत कर दी है।
इरफान बोले… मैं इस्तीफा देने को तैयार
मीडिया से बात न करने देने पर इरफान पुलिसकर्मियों पर भड़क उठे। बोले, जब बात नहीं करने देते तो बुलाते क्यों हो। धक्का मारकर ले जा रहे हो, मैं क्या जानवर हूं। इरफान बोले, सरकार को इस्तीफा चाहिए तो देने को तैयार हूं। मीडिया के सवालों पर बोले, मेरे खिलाफ बड़ी साजिश रची जा रही है।
इरफान की कमर में दर्द, पैर में दाने
इरफान के अधिवक्ता करीम अहमद सिद्दीकी ने बताया कि इरफान के साथ जेल में सख्ती बरती जा रही है। उन्हें मेडिकल सुविधा नहीं दी जा रही। बार-बार कोर्ट आने-जाने से उनकी कमर में दर्द होने लगा है। उनके पैरों में दाने भी निकल आए हैं। उन्हें जेल मैनुअल के हिसाब से जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वह नहीं मिल रही।
मिलाई न होने पर फूट-फूटकर रोई इरफान की पत्नी
पेशी पर आए इरफान से न मिलने न देने पर पत्नी नसीम का दर्द आंसू बनकर फूट पड़ा। वह मीडिया के सामने फूट-फूटकर रोई। इरफान की पेशी की खबर पर पत्नी नसीम अपने तीनों बच्चों और मां के साथ कोर्ट पहुंची थी। मुकदमों की सुनवाई के दौरान कोर्ट में नसीम को इरफान से मिलने नहीं दिया गया।
बच्चों के भविष्य की दुहाई देकर बोलीं, कि बच्चों के 10वीं व 12वीं के बोर्ड के पेपर चल रहे हैं। हम बच्चों को पेपर दिलवाएं या कोर्ट और जेल के चक्कर लगाएं। हम रोते नहीं इसका मतलब यह नहीं कि हम परेशान नहीं। महाराजगंज आना-जाना बहुत मुश्किल काम है। रो-रोकर कहती रही, हम टूट चुके हैं अब हमें माफ कर दीजिए। छोड़ दीजिए, मत परेशान करिए, हमारी मदद करिए।