इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बदायूं जिला न्यायालय के फैसले को पलटते हुए पत्नी की हत्या के आरोप से मुक्त करते हुए बरी करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत का फैसला एक तरफा था। लिहाजा आरोपी को बरी किया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ. कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति अजय त्यागी अनिल की अपील को स्वीकार करते हुए दिया।
मामले में याची पर अपनी पत्नी की हत्या करने का आरोप थी। पत्नी के भाई ने बदायूं जिले के उघैती थाने में दहेज अधिनियम की धारा 2/3 और आईपीसी की धारा 498ए और 304बी के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिला अदालत में मामले की सुनवाई केदौरान अभियोजन की ओर से 11 गवाह पेश किए गए। जिला न्यायालय ने पति अनिल को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और 20 हजार रुपये की सजा सुनाई।
मामले में पति ने जिला न्यायालय केफैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। पति ने अपने को बेकसूर बताया। कोर्ट ने कहा कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 100 से 114 तक तथ्यों को साबित करने का बोझ उस व्यक्ति पर होता है, जो कोई बात जानता है। साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 इसका अपवाद है। कोर्ट ने अपने दो आदेशों का हवाला भी दिया। निचली अदालत ने तथ्यों को सही तरीके से समझा नहीं और पति को गलत दोषी ठहराया। लिहाजा, पति को आरोप से मुक्त करते हुए उसे बरी किया जाता है।