सपा विधायक आजम खां को सजा के बाद सदस्यता खत्म करने के मामले में तेजी और भाजपा विधायक विक्रम सैनी की सदस्यता पर कोई निर्णय नहीं। यह आरोप रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने लगाते हुए विधानसभा स्पीकर को निशाने पर लिया था। शुक्रवार को सैनी की सदस्यता को लेकर स्थित साफ हो गई लेकिन सियासत भी गरमा गई।
शुक्रवार की सुबह संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि कोर्ट के आदेश के साथ ही सदस्यता स्वतः समाप्त हो गई है। उन्होंने इस संबंध में अदालत के पूर्व मामले का हवाला भी दिया। दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने इस संबंध में विधिक राय मांगी है। इसके लिए महाधिवक्ता व न्याय विभाग को पत्र भेजा गया है। सैनी की सदस्यता जाने पर जयंत चौधरी ने फिर से ट्विट करके कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभाध्यक्ष को मेरे पत्र के बाद कुछ लोग कह रहे थे कि मुझे जनप्रतिनिधित्व कानून की जानकारी नहीं है।
विरोधाभास के बीच विधानसभा सचिवालय ने महाधिवक्ता से पूछा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के परिप्रेक्ष्य में दो साल की सजा पर क्या किसी सदस्य की सदस्यता निरस्त की जा सकती है। इसकी पुष्टि होने के बाद ही विधानसभा सचिवालय विक्रम सैनी की सीट रिक्त घोषित करेगा। इसमें पेंच है कि दो साल से कम सजा, दो साल की सजा और दो साल से अधिक की सजा मिलने की स्थिति में किसमें-किसमें सदस्यता खत्म होना विधिसम्मत होगा। वहां से स्थिति स्पष्ट होने पर विधानसभा अध्यक्ष आगे की कार्यवाही करेंगे।
दरअसल, चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए यह निर्देश पहले ही दे चुका है कि अदालत द्वारा सजा दिए जाने के बाद सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाएगी। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने इसी आदेश का हवाला देते हुए कहा कि विक्रम सैनी की सदस्यता स्वतः समाप्त हो गई। इसके इतर विधानसभा सचिवालय ने सीट रिक्त घोषित करने के संबंध में कोई फैसला नहीं लिया, बल्कि विधिक राय मांगी गई है।
विधानसभा सचिवालय का मानना है कि अगर गलती से विक्रम सैनी की सीट रिक्त घोषित हो गई तो उस निर्णय को पलटा नहीं जा सकता। सूत्र बताते हैं कि विधानसभा सचिवालय इसलिए फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है और सीट रिक्त घोषित करने से पहले विधिक राय ले लेना चाहता है। विक्रम सैनी ने भी कहा कि मुझे विधानसभा सदस्यता रद होने की कोई जानकारी नहीं है
अच्छा होता आप पहले सही स्थिति जान लेते : सतीश महाना
लखनऊ। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी को उनके पत्र का जवाब देते हुए कहा है कि अच्छा होता कि आप पहले सही स्थिति पता कर लेते। सतीश महाना ने अपने पत्र में कहा कि अध्यक्ष के रूप में मेरे द्वारा किसी सदस्य की न्यायालय द्वारा पारित किए गए दंड के आधार पर कोई सदस्यता रदद करने के विषय में कोई निर्णय नहीं लिया जाता है।
विधानसभा अध्यक्ष की इस विषय में कोई भूमिका नहीं है। सदस्यता अथवा उसकी निरर्हता सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्णय के क्रम में स्वत: ही क्रियान्वित होगी। यह कहना विधिक रूप से उपयुक्त नहीं कि विक्रम सैनी के संदर्भ में मेरे द्वारा कोई निर्णय लिया जाना अपेक्षित है। इस स्थिति में मेरा विनम्र मत है कि उपयुक्त होता कि यदि आप प्रस्तुत प्रकरण में मेरा ध्यान आकर्षित करने में पूर्व सही स्थिति ज्ञात कर लेते। जयंत चौधरी ने हाल में विधानसभ अध्यक्ष सतीश महाना को पत्र लिख कर कहा था कि आजम खां की सदस्यता खत्म कर दी गई और विधायक विक्रम सैनी के मामले में कोई निर्णय नहीं लिया गया।
खतौली विधायक विक्रम सैनी को 24 दिन पहले ही हुई थी सजा
मुजफ्फरनगर। विधायक विक्रम सैनी को अदालत ने 24 दिन पहले ही कवाल के बवाल में दोषी मानते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। पुलिस ने बवाल में उन्हें बलकटी के साथ गिरफ्तार दिखाया था। मुजफ्फरनगर में 2013 में दंगे के दौरान 29 अगस्त को कवाल में दो पक्षों में मारपीट और तोडफोड़ हुई थी। इस मामले में खतौली के भाजपा विधायक विक्रम सैनी सहित 12 आरोपियों को अदालत ने 11 अक्तूबर को ही दोषी ठहराते हुए 2-2 साल कैद की सजा सुनाई थी। साथ ही, सभी पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इस मुकदमे की सुनवाई एमपीएमएल कोर्ट अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-4 गोपाल उपाध्याय की कोर्ट में हुई थी।
यह था कवालकांड
27 अगस्त 2013 में मलिकपुरा के भाइयों सचिन और गौरव की हत्या कर दी गई थी। इससे गांव में तनाव फैल गया था। 28 अगस्त को सचिन और गौरव की अंत्येष्टि से लौटते लोगों ने कवाल में मारपीट और तोड़फोड़ की थी।
इसके 29 अगस्त में कवाल में रात को मोहल्ला भूमिया के पास दो पक्षों के बीच पथराव हुआ है। इसमें जानसठ थाना प्रभारी निरीक्षक शैलेंद्र शर्मा ने नौ लोगों मौके से गिरफ्तार किया था और विक्रम सैनी समेत 24 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। बाद में चार नाम इसमें विवेचना में और बढ़ाए गए थे। इसमें पुलिस ने विधायक विक्रम सैनी को बलकटी के साथ गिरफ्तार दिखाया था।
हाईकोर्ट में अपील
कवाल के बवाल में सजा होने के बाद विधायक विक्रम सैनी को जमानत मिल गई थी। इसके बाद उन्होंने इस मामले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील भी की हुई है।