प्रदेश के महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट व जिला न्यायालयों में सुरक्षा व्यवस्था और मूलभूत सुविधाओं के विकास को लेकर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के सात जजों की वृहद पीठ के सामने अपने हाथ खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि अधिकारी हमारी नहीं सुनते हैं इससे वह कोर्ट को ठीक से असिस्ट (सहयोग) नहीं कर पा रहे हैं। महाधिवक्ता की इस टिप्पणी को वृहद पीठ ने बेहद गंभीरता से लिया और कहा कि यदि यही स्थिति है तो अगली सुनवाई पर अधिकारियों को स्वयं उपस्थित होना होगा।
दरअसल कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर इस मामले में कई मुद्दों पर जवाब दाखिल करने व जानकारी देने का निर्देश दिया था। कोर्ट के सहयोग के लिए प्रमुख सचिव न्याय को भी उपस्थित होना था लेकिन वह नहीं आए। उनके स्थान पर अपर प्रमुख सचिव न्याय उपस्थित थे। जब कोर्ट ने महाधिवक्ता से पिछली सुनवाई पर दिए गए आदेशों के बारे में पूछा तो उन्होंने अपनी लाचारी जताते हुए कहा कि वरिष्ठ अधिकारी सहयोग करने के लिए नहीं आते हैं। हमेशा कनिष्ठ अधिकारियों या कर्मचारियों को ही भेजा जाता है।
महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि पूर्व के आदेश से महानिबंधक और विभिन्न विभागों के बीच समन्वय व तालमेल के लिए प्रमुख सचिव न्याय को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। इस पर कोर्ट ने पूछा कि प्रमुख सचिव न्याय कहां है, तो महाधिवक्ता ने बताया कि अपर प्रमुख सचिव न्याय आए हैं। इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की क्या नोडल अधिकारी बनने से वह हाईकोर्ट से भी ऊपर हो गए हैं। बाद में महाधिवक्ता ने कोर्ट को सही जानकारी देने के लिए और समय दिए जाने की मांग की।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट व जिला न्यायालयों में सुरक्षा सीसीटीवी कैमरे लगाने, न्यायिक अधिकारियों के लिए न्याय कक्ष और आवास की व्यवस्था करने तथा वकीलों के लिए चेंबर आदि बनाने के को लेकर हाईकोर्ट ने 2015 में स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका कायम की थी। इस याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट के सात वरिष्ठ जजों की वृहद पीठ सरकार के कार्यों की नियमित निगरानी कर रही है। वृहद पीठ ने समय-समय पर कई आदेश किए लेकिन उन पर प्रभावी अमल नहीं हो पाया।
शुक्रवार को मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अध्यक्षता में न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर, न्यायमूर्ति मनोज मिश्र, न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल, न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी, न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र की वृहद पीठ ने मामले की सुनवाई की। वृहद पीठ ने कहा कि अगली सुनवाई पर प्रमुख सचिव या कोई जिम्मेदार अधिकारी ही कोर्ट के सहयोग के लिए आए। कोर्ट इस मामले की दिसंबर माह में फिर सुनवाई करेगी।