सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ कम करने को स्वास्थ्य विभाग ने एक और पहल की है। अब मरीजों को उपचार के लिए अस्पतालों की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। मरीज टेली मेडिसिन के माध्यम से घर बैठे उपचार की सुविधा हासिल कर सकेंगे। टेलीमेडिसिन को रफ्तार देने के लिए नियमित रूप से सुविधा मरीजों को उपलब्ध कराई जाए। यह निर्देश उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक चिकित्सा इकाई टेलीमेडिसिन सेवाएं प्रदान करें।
डिप्टी सीएम ने निर्देश दिए कि प्रत्येक कार्यदिवस में सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक अनिवार्य रूप से टेली मेडिसिन सेवाएं प्रदान करें। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज व टेली मेडिसिन के माध्यम से उनसे जुड़े संस्थान मरीजों को जागरूक करें। टेली मेडिसिन के फायदों के बारे में बतायें। प्रचार प्रसार करें ताकि अधिक से अधिक लोगों को उसका लाभ मिल सके।
टेली कंसल्टेशन के लिए सभी डॉक्टरों-एएनएम की बनेगी आईडी
प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा पार्थसारथी सेन शर्मा ने टेली मेडिसिन के अनिवार्य प्रयोग को लेकर सभी निदेशक, सीएमओ, सीएमएस को टेलीमेडिसिन का प्रयोग बढ़ाए जाने के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि अभी कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर द्वारा टेली कंसल्टेशन का काम किया जा रहा है। जल्द सभी एएनएम की भी आईडी क्रिएट होने के बाद वे भी यह सेवा प्रदान कर सकेंगी। प्रमुख सचिव ने आदेश दिया है कि सभी एएनएम के अलावा सभी स्वास्थ्य इकाइयों पर कार्यरत विशेषज्ञों सहित सभी चिकित्सकों की लॉगिन आईडी बनाया जाना अनिवार्य है। इन आईडी की संबंधित चिकित्सा इकाइयों से मैपिंग भी कराई जाएगी।
टेली मेडिसिन सेवा के कई फायदे
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि टेलीमेडिसिन सेवा ने डिजिटल स्वास्थ्य के मामले में शहरी और ग्रामीण भारत के बीच मौजूद अंतर को पाटकर स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को सहयोग देना शुरू कर दिया है। यह सेवा माध्यमिक और तृतीयक स्तर के अस्पतालों पर बोझ को कम करते हुए जमीनी स्तर पर डॉक्टरों और विशेषज्ञों की कमी को भी दूर कर रही है। उन्होंने कहा कि केजीएमयू, पीजीआई व लोहिया संस्थान जैसे संस्थान ई-संजीवनी के माध्यम से मरीजों को राहत पहुंचाने की दिशा में प्रभावी कदम उठायें।