उत्तर प्रदेश में 18वीं विधानसभा के शुरूआत पर सदन के संयुक्त अधिवेशन में राज्यपाल द्वारा अपने अभिभाषण में कल राज्य सरकार को हर प्रकार का क्लीन चिट दिए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी ने आज यहाँ कहा कि जनहित व विकास आदि के भारी-भरकम सरकारी दावों की सार्थकता एवं उपयोगिता तभी होती जब वे ज़मीनी हकीकत से थोड़ा भी मेल खाते हुए जनता को दिखाई पड़ते। इस कारण यह अभिभाषण क्या जन उपेक्षा जैसा नहीं।

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अगर यू.पी. सरकार राज्यपाल महोदया के माध्यम से जनहित, जनकल्याण तथा जनसुरक्षा आदि से जुड़ी कड़वी जमीनी वास्तविकताओं का भी थोड़ा नोट लेती तो लोगों को आगे के लिए थोड़े अच्छे दिन की उम्मीद बंधती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वैसे कुछ लोगों के अच्छे दिन जरूर आ गए हैं और उनके लिए कानून के राज का कोई मायने नहीं रखता है। वे चाहे रेत माफिया हों या थाना में घुसकर पुलिस की पिटाई ही का मामला ही क्यों न हो जिसकी खबरें आम हैं, किन्तु आमजनता का हर मामले में काफी ज्यादा बुरा हाल लगातार ही बना हुआ है। विकास व गवरनेन्स के नाम पर स्थिति कोई खास अच्छी नहीं है, जिस कारण आम लोगों का भला नहीं हुआ है।

वैसे महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, अराजकता, जातिवाद, साम्प्रदायिकता, भ्रष्टाचार, गुण्डागर्दी व माफियागिरी आदि की बदतर कानून-व्यवस्था से जनता काफी त्रस्त हैं, इसीलिए सरकार को अब आगे व्यापक जनहित, जनकल्याण एवं विकास के सही काम करके भी दिखाना होगा।

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साथ ही, इस अवसर पर सदन में ’’राज्यपाल वापस जाओ’’ का नारा लगाना उचित नहीं, क्योंकि राज्यपाल महोदया को वही लिखा हुआ पढ़ना था जो सरकार ने उन्हें पढ़ने के लिए दिया है। इसलिए यह बेहतर होता कि यदि इस पर चर्चा के दौरान् सीधा सरकार को घेरा जाता।

वैसे राजभवन को भी इस बात का खास ध्यान रखना चाहिये कि यू.पी. की सरकार आमजनहित के मामले में, प्राथमिकता के आधार पर सही फैसले ले तथा सरकार जब कानून के हिसाब से चलेंगी तभी जनहित व जनकल्याण एवं लोगों का जान-माल तथा धर्म सुरक्षित रहेगा। भारत का दुनिया में मान-सम्मान व प्रतिष्ठा इसके मानवीयता पर आधारित समतामूलक/व्यवस्था बनाने हेतु संविधान को लेकर ज्यादा है, यह बात हमेशा याद रखने की है।

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इसके इलावा, यू.पी. विधानसभा आमचुनाव खत्म होने के बाद, अब राशन कार्डांे के सत्यापन करने को लेकर व इसकी आड़ में, जो मुफ्त राशन देने की व्यवस्था को कम किया जा रहा है। यह उचित नहीं है। और इस पर यू.पी. सरकार जरूर पुर्नविचार करें। बी.एस.पी. की यह सलाह।

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