भाकपा (माले) ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दे को उछाल कर संघ-भाजपा ब्रिगेड वाराणसी में अयोध्या जैसी (बाबरी मस्जिद ढहाने की) आतंकी कार्रवाई को दोहराने की साजिश रच रहा है।

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पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा कि भाजपा ने 2024 की तैयारी शुरू कर दी है। संघ (आरआरएस) के अन्य संगठन भी जुट गए हैं। ‘ज्ञानवापी विवाद’ को हवा देकर संघ ब्रिगेड बार-बार दोहराए जाने वाले आक्रामक नारे ‘अयोध्या तो झांकी है, काशी मथुरा बाकी है’ पर काम कर रहा है। यह सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने और जनता को बांटने के 2024 के एजेंडे का हिस्सा है।

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उन्होंने कहा कि यह बेतहाशा बढ़ती महंगाई, गिरती अर्थव्यवस्था, रोजगार संकट आदि ज्वलंत सवालों को हल करने में मोदी सरकार की विफलता से देशवासियों का ध्यान भटकाने की कोशिश है। यह ‘आपदा में अवसर’ तलाशने की मोदी सरकार की सुपरिचित कार्यनीति का अंग है।

माले नेता ने कहा कि नए सिरे से ज्ञानवापी विवाद को उठाना पूजा स्थल अधिनियम 1991 का स्पष्ट उल्लंघन है, जो 15 अगस्त 1947 को हर धार्मिक पूजा स्थल की स्थिति को जस का तस बनाये रखने की गारंटी देता है। साथ ही, यह सर्वोच्च अदालत के अयोध्या फैसले की भावना के भी विरुद्ध है, जिसमें कोर्ट ने बाबरी मस्जिद ढहाने को आपराधिक कृत्य मानते हुए राममंदिर बनाने की इजाजत यह उम्मीद जताते हुए दी थी कि यह फैसला अन्य सभी विवादास्पद दावों को समाप्त कर देगा।

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माले राज्य सचिव ने कहा कि ऐसे में, ऊपरी अदालत को इस पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए और इस तरह के विवादों पर रोक लगानी चाहिए। उन्होंने लोकतंत्र पसंद नागरिकों का भी आह्वान किया कि वे एकजुट होकर संघ-भाजपा की इस साजिश को विफल करें।

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