चौबीस साल तक देश के दुर्गम इलाकों में रहकर देश की सुरक्षा में तैनात कौशांबी निवासी मोहनलाल पाल को सेना कोर्ट लखनऊ ने दिव्यांगता पेंशन देने का निर्णय सुनाया l मामला यह था याची ने सेना और डी०एस०सी० को मिलाकर लगभग चौबीस वर्ष तक देश की सेवा की लेकिन, वर्ष 2019 में मेडिकल परीक्षण के दौरान यह मालूम हुआ कि उसे डाईबिटीज और नान एल्कोहलिक फैटी लीवर की बीमारी है l
निडर, निष्पक्ष, निर्भीक चुनिंदा खबरों को पढने के लिए यहाँ >> क्लिक <<करें
बाद में उसका रिलीज मेडिकल बोर्ड करके सेना से डिस्चार्ज कर दिया गया और कहा गया यह बीमारियाँ लाईफ स्टाईल से संबंधित होने के साथ-साथ पीस एरिया में सर्विस के दौरान हुई हैं इसलिए याची दिव्यांगता पेंशन का हकदार नहीं है l
अधिक महत्वपूर्ण जानकारियों / खबरों के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें
याची ने 2021 में सेना कोर्ट लखनऊ में वाद दायर करके अपने हक की लड़ाई शुरू की, न्यायालय के सामने याची के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने दलील दी कि रिलीज मेडिकल बोर्ड की राय सहमतिपूर्ण नहीं है क्योंकि यह पूर्ण सत्य को सामने नहीं लाता, पीस एरिया का अर्थ यह नहीं कि वहां तनाव और दबाव नहीं रहता, ऐसा कहना तर्कपूर्ण नहीं है l अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने आगे दलील दी कि याची राऊंडिंग आफ के लाभ का भी हकदार है क्योंकि, यदि कोई सैनिक अपने सेवाकाल से पहले मेडिकल आधार पर सेना से निकाला जाता है तो उसे इनवैलिडेड आउट माना जाएगा l
‘लोकल न्यूज’ प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘नागरिक पत्रकारिता’ का हिस्सा बनने के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें
भारत सरकार रक्षा-मंत्रालय के जोरदार विरोध के बावजूद सशत्र-बल अधिकरण, लखनऊ के न्यायमूर्ति उमेश चन्द्र श्रीवास्तव और वाईस एडमिरल (रि०) अभय रघुनाथ कार्वे की खण्ड-पीठ ने याची की दिव्यांगता पेंशन को बीस प्रतिशत से बढाकर पचास प्रतिशत करते हुए चार महीने के अंदर भुगतान का आदेश सुनाया और, यह भी आदेश दिया कि यदि, निर्धारित अवधि के अंदर भुगतान न किया गया तो याची आठ प्रतिशत ब्याज का भी हकदार होगा l