आखिरकार चाचा और भतीजे का राजनीतिक मिलन हो ही गया, सपा प्रमुख और प्रस्पा प्रमुख के बीच बहुप्रतीक्षित चुनावी गठबंधन सामने आया. इस बात की जानकारी समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद ट्वीट करके दी.

मुलाकात की तस्वीर साझा करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि गठबंधन पर बात तय हो गई है.

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उन्होंने कहा, ”प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से मुलाक़ात हुई और गठबंधन की बात तय हुई. क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति सपा को निरंतर मजबूत कर रही है और सपा और अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है. #बाइसमेंबाइसिकल.”

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वहीँ प्रस्पा अध्यक्ष शिवपाल यादव ने भी इस मुलाकात के बारे में जानकारी देते कहा कि आज समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आवास पर शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान उनके साथ आगामी विधान सभा चुनाव 2022 में साथ मिलकर चुनाव लड़ने की रणनीति पर विस्तार से चर्चा हुई।

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इससे पहले सूत्रों ने बताया कि 45 मिनट तक दोनों नेताओं की मुलाकात चली. इस दौरान कई बातों पर मंथन हुआ. गठबंधन और विलय दोनों विकल्पों पर चर्चा हुई है. शिवपाल अपने पार्टी के लोगों के लिए 25 से 40 सीट चाहते हैं. शिवपाल ने समीकरण सहित उन सीटों की जानकारी अखिलेश को दी है. वहीं विलय की सूरत में शिवपाल को प्रदेश स्तर पर संगठन में या राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर समायोजित करने को लेकर मंथन हुआ है.

बता दें कि उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव की नजर छोटी पार्टियों पर है. पिछड़ी जातियों वाले दलों का महागठबंधन बनाकर अखिलेश बीजेपी को चुनौती देना चाहते हैं. अब तक अखिलेश जयंत चौधरी के आरएलडी, ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, केशव देव मौर्य के महान दल, संजय चौहान की जनवादी पार्टी एस, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और अपना दल कमेरावादी से गठबंधन कर चुके हैं. अब अपने चाचा से भी बात बन गई है.

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