बसपा प्रमुख मायावती मायावती ने बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के 66 वें परिनिर्वाण दिवस प्रेस को सम्बोधित करते हुए कहा कि संविधान बचाने के लिए सड़कों पर उतरने से काम नहीं चलेगा बल्कि सत्ता परिवर्तन करने से काम चलेगा। जब सत्ता परिवर्तन हो जाएगा तो संविधान बच जाएगा। सत्ता में बैठे हैं बाबा साहेब के विरोधी लोग, तो हम सड़कों पर उतर का क्या करेंगे? हमें सत्ता परिवर्तन करना होगा। अभी केन्द्र व राज्यों में ऐसी सरकारें बैठी हैं जो संविधान के हिसाब से नहीं चल रही हैं तो उसका एक ही रास्ता है कि उनको सत्ता से बाहर करके बी.एस.पी. को सत्ता में लाना तभी संविधान बचेगा व सही ढंग से लागू भी होगा।
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एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि यह तो यूपी की जनता को अच्छी तरह से मालूम है कि भाँति-भाँति का गठबंधन करने वाले यह कौन लोग हैं? यह जो पार्टी विजय रथ यात्रा निकाल रही है तो अभी तो विजय हुई नहीं है इनको। लेकिन कल मैं देख रही थी चन्दौली की घटना कि समाजवादी पार्टी के लोग किस प्रकार से कानून को अपने हांथ में लेकर व उनके विधायक का भी किस प्रकार से पुलिस के साथ उनका दुर्व्यवहार रहा है, यह सब किसी से छिपा नहीं है। अभी तो विजय भी मिली नहीं है तब यह हाल है। तो जनता क्या देख नहीं रही है। इसीलिए गठबंधन कर लें, कुछ भी कर लें, जनता को यह मालूम है कि सपा के शासनकाल में गुण्डागर्दी व माफियागर्दी चरम सीमा पर थी और बी.एस.पी. के शासनकाल में हर मामले में व हर स्तर पर कानून द्वारा कानून का राज चलता था। यह सब आप मीडिया बन्धुओं को भी अच्छी प्रकार से मालूम है।
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मायावती ने कहा, यूपी में 75 जिलें हैं जहाँ कोई भी ऐसा दिन नहीं जाता है जब यूपी में खासकर जो समाज के दबे-कुचल लोग हैं, वीकर सेक्शन के लोग हैं, उन पर जुल्म-ज्यादती किसी न किसी रूप में होती रहती है। मीडिया को वे लोग मैनेज कर लेते हैं और इसीलिए मीडिया में इस प्रकार के जुल्म-ज्यादती व अत्याचार आदि की खबरें इस सरकार मे भी बहुत कम आती हैं तथा जो खबरें आती हैं वे आंटे में नमक के बराबर ही होती हैं।
मायावती ने गठबंधन के सवाल के जवाब में कहा कि उत्तराखण्ड में हमारी पार्टी अकेल अपने बलबूते पर चुनाव लड़ेगी और बेहतर रिजल्ट दिखएगी जबकि पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के साथ बी.एस.पी. का गठबंधन हो गया है।
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आगामी विधानसभा आमचुनाव कोरोना के मद्देनजर कैसे हो, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह मुख्यतः चुनाव आयोग को तथा केन्द्र व राज्य सरकारों को तय करना है कि वे कैसी गाइडलाइन्स चुनाव के लिए बनाते हैं। किन्तु बी.एस.पी. का यही मानना है कि चुनाव आयोग जो भी गाइडलाइन्स जारी करते हैं तो जनता को उसी के हिसाब से चलना चाहिए। कोरोना का नया रूप अपनी पांव पसार रहा है। इसीलिए केवल यूपी ही नहीं बल्कि जहाँ-जहाँ भी चुनाव हो रहे हैं वहाँ के लोगों को चुनाव आयोग तथा केन्द्र व राज्य सरकारों की गाइडलाइन्स को मान कर ही चलना चाहिए।