लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में चल रही जांच पर सुप्रीम कोर्ट की नाराज़गी के बाद अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेश के बाहर की हाईकोर्ट के पूर्व जज से कराने पर राज़ी हुई है, आज यूपी की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा, ‘जिसको आप जांच की निगरानी के लिए नियुक्त करना चाहें, आप कर दें. हम तैयार हैं, आज जिसे नियुक्त करेंगे ‘हमें स्वीकार होगा’.
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उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अदालत 3 अक्टूबर को हुई लखीमपुर खीरी हिंसा की एसआईटी जांच की निगरानी के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की नियुक्ति कर सकती है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जजों (जस्टिस रंजीत सिंह और राकेश के. जैन) को SIT जांच की देखरेख के लिए नियुक्ति करने का सुझाव दिया था.
सीजेआई एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘हम पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश राकेश कुमार जैन या अन्य पर विचार कर रहे हैं. हमें उनसे सलाह मशविरा करना होगा.’ शीर्ष अदालत ने कहा कि वह बुधवार को मामले की जांच की मॉनिटरिंग करने के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को नियुक्त कर सकता है.
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सुनवाई के शुरुआत में उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच की निगरानी के लिए पूर्व जज की नियुक्ति पर सहमति जताई. उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि जिसको कोर्ट जांच कि निगरानी के लिए नियुक्त करना चाहें, कर दें, हम तैयार हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य के बाहर हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस को हम नियुक्त करेंगे. उत्तर प्रदेश सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कहा हमें स्वीकार होगा. कोर्ट ने कहा कि हमे जज की नियुक्ति के लिए एक दिन का समय लगेगा.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए SIT में शामिल अधिकारियों पर भी सवाल उठाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा SIT में अभी लखीमपुर खीरी के अधिकारी शामिल है. कोर्ट ने कहा SIT में उच्च अधिकारियों को शामिल किया जाए. अदालत ने कल तक उत्तर प्रदेश सरकार से SIT में शामिल करने के लिए ऐसे IPS अधिकारियों के नाम देने को कहा है जो उत्तर प्रदेश में कार्यरत हों लेकिन मूलरूप से उत्तर प्रदेश के न हों.
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सुनवाई के दौरान मामले की जांच कर रहे SIT के चीफ उमेश चंद्र अग्रवाल के ट्रांसफर का भी मामला उठा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले को देखेगा.